Corona virus in world : छाती के एक्स-रे से कोविड का पता लगाने कि लिए वैज्ञानिकों ने बनाया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

Coronavirus in World : AI made to detect Covid with chest X-Ray
Corona virus in world : छाती के एक्स-रे से कोविड का पता लगाने कि लिए वैज्ञानिकों ने बनाया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
Corona virus in world : छाती के एक्स-रे से कोविड का पता लगाने कि लिए वैज्ञानिकों ने बनाया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
हाईलाइट
  • 17
  • 002 चेस्ट एक्स-रे का परीक्षण किया
  • एक्स-रे सुरक्षित और किफायती भी

डिजिटल डेस्क, न्यूयॉर्क। नोवेल कोरोनावायरस संग लड़ाई के मद्देनजर शोधकर्ताओं ने एक नए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) प्लेटफॉर्म का इजात किया है, जो फेफड़े के एक्स-रे की तस्वीरों से कोविड-19 का पता लगाने में सक्षम है। डीप कोविड - एक्स-रे का निर्माण थोरैसिक रेडियोलॉजिस्ट की एक टीम ने किया है, जो एक्स-रे के माध्यम से कोविड-19 का पता दस गुना तेज और सटीक लगाने में सक्षम है।

जर्नल रेडियोलॉजी में प्रकाशित शोध के मुताबिक शोधकतार्ओं की टीम का मानना है कि चिकित्सक उन मरीजों का जल्द से जल्द परीक्षण करने के लिए इस AI सिस्टम का उपयोग कर सकते हैं, जो कोविड-19 के अलावा किन्हीं अन्य वजहों से अस्पतालों में भर्ती हैं। अत्यधिक संक्रामक वायरस का पता पहले लगने से स्वास्थ्यकर्मियों और अन्य मरीजों की संभावित सुरक्षा हो सकती है, क्योंकि इस सिस्टम की मदद से कोविड रोगियों का तुरंत पता लगाकर ही उन्हें आइसोलेट किया जा सकता है।

एक्स-रे सुरक्षित और किफायती भी 
अमेरिका के नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी से शोध के लेखक एग्गेलोस कात्सगेलोस ने कहा कि हम वास्तविक परीक्षण को बदलने का लक्ष्य नहीं बना रहे हैं। एक्स-रे नियमित तौर पर किए जाते हैं, ये सुरक्षित और किफायती भी हैं। हमारे सिस्टम की मदद से मरीज को स्क्रीन करने और उनमें कोविड का पता लगाने में चंद सेकेंड्स लगेंगे। इससे हम जान सकेंगे कि उस मरीज को आइसोलेट करने की आवश्यकता है भी या नहीं।

17,002 चेस्ट एक्स-रे का परीक्षण किया
इस नई परीक्षण पद्धति का विकास करने के लिए रिसर्चरों ने नॉर्थवेस्टर्न मेमोरियल हेल्थकेयर सिस्टम के साइटों से 17,002 चेस्ट एक्स-रे की तस्वीरों का उपयोग किया। इनमें से 5,445 मरीज कोविड पॉजिटिव आए। इसके बाद टीम ने लेक फॉरेस्ट हॉस्पिटल से 5 अनुभवी कार्डियोथोरेसिक फेलोशिप-प्रशिक्षित रेडियोलॉजिस्ट के अंडर में 300 रेंडम तस्वीरों का परीक्षण किया। हर रेडियोलॉजिस्ट को इन तस्वीरों की जांच में ढाई से साढ़े तीन घंटे लगे, जबकि एआई सिस्टम को करीब-करीब 18 मिनट लगे। जहां रेडियोलॉजिस्ट की एक्यूरेसी की सीमा 76-81 फीसदी रही। डीप कोविड-एक्सआर में यही सीमा 82 फीसदी रही।

Created On :   29 Nov 2020 8:47 PM IST

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