Coronavirus : ऑस्ट्रेलियन न्यूज पेपर की रिपोर्ट पर भड़का चीन, चिट्ठी भेजकर धमकाया तो अखबार ने दिया करारा जवाब

Coronavirus: China threatened Australian news paper The Daily Telegraph
Coronavirus : ऑस्ट्रेलियन न्यूज पेपर की रिपोर्ट पर भड़का चीन, चिट्ठी भेजकर धमकाया तो अखबार ने दिया करारा जवाब
Coronavirus : ऑस्ट्रेलियन न्यूज पेपर की रिपोर्ट पर भड़का चीन, चिट्ठी भेजकर धमकाया तो अखबार ने दिया करारा जवाब

डिजिटल डेस्क, सिडनी। चीन से फैलने वाला कोरोनावायरस पूरी दुनिया के लिए अभिशाप बन गया है। इसके कारण दुनिया भर में लगभग 80 हजार से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। लेकिन चीन, जिसने इस महामारी को जन्म दिया, अभी भी दुनिया से वास्तविकता छिपा रहा है। इतना ही नहीं जो चीन की इस सच्चाई को सामने ला रहा है उसे वह धमका भी रहा है। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के एक अखबार "द डेली टेलीग्राफ" ने कोरोनावायरस को लेकर एक रिपोर्ट छापी थी जिसमें उन्होंने इस वायरस को चीनी वायरस कहा था। टेलीग्राफ की इस रिपोर्ट से चीन भड़क गया और अखबार को दूतावास के माध्यम से पत्र भेजकर कहा कि कोविड-19 को लेकर जो रिपोर्ट छापी गई है वो पूरी तरह से अज्ञानता, पूर्वाग्रह और अहंकार पर आधारित हैं। इस चिट्ठी का अख़बार ने सिलसिलेवार ढंग से जवाब दिया है। पढ़िये कि कैसे इस अख़बार ने चीनी सरकार को आईना दिखाया:

चीन- डेली टेलीग्राफ में पिछले दिनों COVID-19 को लेकर चीन के तौर-तरीकों पर जो लेख और रिपोर्ट छापे गए हैं वो पूरी तरह से अज्ञानता, पूर्वाग्रह और अहंकार पर आधारित हैं।

अख़बार- अगर चीन में सरकारी अख़बार को ऐसी शिकायती चिट्ठी मिली होती तो अगले ही दिन उसके पत्रकार को जेल में डाला जा चुका होता और हो सकता है कि उसके शरीर के अंगों को प्रत्यारोपण के लिए दे दिया जाता।

चीन- आपने इसे चीन का वायरस लिखा है, जबकि इसकी शुरुआत की जगह पता लगाना वैज्ञानिकों का काम है। इसके लिए पेशेवर और वैज्ञानिक तरीक़ा होना चाहिए।

अख़बार- सही बात है। तो फिर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाग लिजियन ने 12 मार्च को जब बोला था कि हो सकता है कि अमेरिकी सेना इसे वुहान लेकर आई हो तो ऐसा कहने का क्या वैज्ञानिक आधार था?

चीन- इस वायरस का ओरिजिन क्या है यह अभी साफ़ नहीं है। आपने इसे "चाइनीज़ वायरस" लिखा है, जबकि WHO ने नोवल कोरोनावायरस का नाम COVID-19 रखा है।

अखबार- वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन ने तो एक बार ज़िंबाब्वे के हत्यारे रॉबर्ट मुगाबे को अपना गुडविल एंबेसडर बनाया था। उसी ने 2 मार्च को कहा था कि कोरोनावायरस का कलंक इस वायरस से भी ज़्यादा ख़तरनाक है। WHO ने ऐसे कई मूर्खता वाले काम किए।

चीन- कोरोना वायरस को बार-बार चीन से जोड़ने और इसे "मेड इन चाइना" बताने के पीछे आपका मक़सद क्या है?

अख़बार- क्योंकि हमारा मक़सद सही जानकारी देना है। यही कारण है कि हम इस वायरस को इंग्लैंड के किसी शहर का नहीं बताते या इसे "मेड इन पनामा" नहीं कहते।

चीन- वुहान के लोगों ने महामारी को क़ाबू करने और इसे फैलने से रोकने के लिए बड़ा प्रयास और व्यक्तिगत बलिदान दिया है।

अख़बार- वुहान के ही डॉक्टर ली वेनलियांग ने ही सबसे पहले लोगों को कोरोनावायरस फैलने की चेतावनी दी थी। उनके बारे में न्यूयॉर्क टाइम्स में जनवरी में ख़बर भी छपी थी। बाद में पता चला कि मेडिकल ऑफिशियल्स और पुलिस ने उनसे इस बयान पर जबरन दस्तख़त करा लिए कि उन्होंने वैसा कुछ नहीं कहा था। और अब उनकी मौत भी हो चुकी है। तो इस तरह का व्यक्तिगत बलिदान भी शामिल है।

चीन- लोगों का ध्यान अपनी तरफ़ खींचने और इंटरनेट पर हिट्स पाने के लिए आपने वुहान को "जॉम्बीलैंड" कहा है और वहां के सीफ़ूड मार्केट को "बेट मार्केट" का नाम दिया है। आप और कितना नीचे जा सकते हैं?

अख़बार- सभ्य दुनिया में, "ब्रैडमैन बैट्स एंड बैट्स एंड बैट्स" एक प्रसिद्ध न्यूज पेपर बैनर है: 

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लेकिन वुहान में इस नाम से रेस्टोरेन्ट चलता है।

चीन- चीन सरकार ने जिस प्रभावी तरीक़े से महामारी की रोकथाम की वो कम्युनिस्ट सरकार के "पीपुल सेंटर्ड फिलॉस्फी" का बेहतरीन उदाहरण है।

अख़बार- 2018 में एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में जितने लोगों को मृत्युदंड दिया गया, उससे ज़्यादा सजाएं अकेले चीन में दी गईं। कृपया हमें अपनी "पीपुल सेंटर्ड फिलॉस्फी" के बारे में और जानकारी दें और बताएं कि इसमें कुल मिलाकर कितनी गोलियां खर्च होती हैं।

चीन- तथ्यों को स्वीकार करने के बजाय आपके अख़बार ने चीन सरकार और कम्युनिस्ट पार्टी के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार अभियान चलाया।

अख़बार- और हां इसके बावजूद हमें न तो जेल हुई और न ही हमें गोली मारी गई। अभी तक न्याय नहीं हुआ।

चीन- क्या आपके अख़बार के निर्णय जनता के कल्याण पर आधारित होते हैं या वैचारिक पूर्वाग्रहों पर?

अख़बार- हम मानते हैं कि चीन की क्रूर और निरंकुश सरकार के ख़िलाफ़ हमारे वैचारिक पूर्वाग्रह हैं। यह हमारी तरफ़ से बहुत बड़ी गलती है।

चीन- चीन सरकार ने 3 जनवरी से विश्व स्वास्थ्य संगठन और इंटरनेशनल कम्युनिटी को महामारी के बारे में पूरे पारदर्शी तरीक़े से जानकारी देनी शुरू कर दी थी।

अख़बार- अच्छा तभी शायद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 14 जनवरी को ट्वीट किया था कि दुनिया को परेशान होने की ज़रूरत नहीं। कोविड-19 मानव से मानव को संक्रमित नहीं करता। क्या आप दुनिया को गुमराह नहीं कर रहे थे?

 

 

चीन- महामारी बहुत तेज़ी से पूरी दुनिया में फैल रही है, और चीन तो इससे प्रभावित देशों की मदद करने की हरसंभव कोशिश कर रहा है।

चीन- महामारी बहुत तेज़ी से पूरी दुनिया में फैल रही है, और चीन तो इससे प्रभावित देशों की मदद करने की हरसंभव कोशिश कर रहा है।

अख़बार- बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार स्पेन, टर्की और नीदरलैंड्स को आपने जो मेडिकल किट एक्सपोर्ट किए थे उनमें से ज़्यादातर ख़राब निकले। और एबीसी की इस हफ्ते की एक रिपोर्ट के अनुसार ऑस्ट्रेलियन बॉर्डर फ़ोर्स ने 8 लाख नक़ली मास्क भी ज़ब्त किए हैं। आपकी यथासंभव सहायता के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

चीन- वायरस देशों की सीमाओं को नहीं मानता।

अख़बार- अच्छा फिर 28 मार्च को आपने चीन की सीमाओं को बंद करने का एलान क्यों किया? जबकि आपने तो कोविड-19 पर जीत हासिल करने का दावा किया था?

चीन- आपने बार-बार चीन के उपायों को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन के सकारात्मक अनुमानों पर सवाल खड़े किए हैं। लेकिन आपको पता होगा कि यह दुनिया में जनस्वास्थ्य के बारे में सबसे बड़ा आधिकारिक संगठन है और ऑस्ट्रेलिया समेत 190 देश इसके सदस्य भी हैं।

अख़बार- इस संख्या पर नज़र बनाए रखें।

चीन- विश्व स्वास्थ्य संगठन और हमारी तरफ़ से दी गई औपचारिक सूचनाओं के बजाय आपने ढेर सारे तथाकथित "रणनीतिक विश्लेषकों" के बयान छापे हैं। क्या आपको पता है कि जिन लोगों के ये बयान हैं उनकी संस्थाएं अमेरिकी सरकार से आर्थिक सहायता लेती रही हैं और बहुत पहले ही उनकी पोल खुल चुकी है?

अख़बार- आपके मुताबिक़ विश्व स्वास्थ्य संगठन बहुत अच्छा है, उसे भी अमेरिकी सरकार ने पिछले साल लगभग 900 मिलियन डॉलर दिए? आपका उस बारे में क्या कहना है।

चीन- चीन में महामारी के बारे में आपकी ख़बरें बहुत बढ़ा-चढ़ाकर पेश की गईं। इनमें बहुत कुछ अफ़वाहें और राजनीतिक बदनीयती देखी जा सकती है।

अख़बार- ओह हम कितने नॉटी हैं। कृपया डॉक्टर ली वेनलियांग का जबरन लिया गया वो बयान हमें भी भेज दें, जिनमें उन्होंने समय पर दी गई अपनी ही चेतावनी को अफ़वाह बता दिया था, ताकि हम भी उस पर हस्ताक्षर कर सकें।

Created On :   8 April 2020 11:47 PM IST

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