US-China Tensions: ह्यूस्टन में चीनी वाणिज्य दूतावास बंद, अपने देश वापस लौटा स्टाफ, एयरपोर्ट पर स्वागत
डिजिटल डेस्क, बीजिंग। अमेरिका के ह्यूस्टन में चीनी वाणिज्य दूतावास के बंद होने के बाद उसका स्टाफ सोमवार को चीन लौट आया। बीजिंग में एक चार्टर्ड एयर चाइना फ्लाइट से उतरने के बाद विदेश मंत्री वांग यी ने उनका स्वागत किया। वांग यी ने कहा, आपने देश की गरिमा और चीन के ओवरसीज इंस्टीट्यूशन्स के वैध अधिकारों को बहुत मुश्किल, यहां तक कि खतरनाक परिस्थितियों में सुरक्षित रखा।
क्या है मामला?
दरअसल, 22 जुलाई की देर शाम अमेरिकी पुलिस के पास कुछ फोन आए थे। बताया गया कि चाइनीज़ कॉन्स्यूलेट के कैंपस से धुआं उठ रहा है। पुलिस जब मौके पर पहुंची तो देखा कि कॉन्स्यूलेट के आंगन में कागज़ात जलाए जा रहे थे। पुलिस ने अंदर घुसने की कोशिश की, मगर चाइनीज अधिकारियों ने उन्हें रोक दिया। इस प्रकरण के कुछ घंटों बाद खबर आई कि ह्यूस्टन स्थित चाइनीज़ कॉन्स्यूलेट बंद हो रहा है। अमेरिका ने 72 घंटों के भीतर चीन से ये कॉन्स्यूलेट बंद करने को कहा था। इस फैसले पर अमेरिका के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट माइक पॉम्पिओ ने कहा था- चीन अमेरिका की बौद्धिक संपदा चुरा रहा है। इससे हज़ारों-हज़ार लोगों की नौकरियां जा रही हैं। इसीलिए हमने ये कॉन्स्यूलेट बंद करवाने का फैसला लिया।
अमेरिका ने चीन पर जासूसी का आरोप लगाया
वहीं अमेरिकी विदेश विभाग ने भी एक स्टेटमेंट जारी किया था। इसके मुताबिक- चीन अवैध और ग़ैरक़ानूनी तरीकों से हमारी जासूसी कर रहा है। हमारे कामकाज को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। अमेरिकी कारोबारियों और अमेरिका में रहने वाले चाइनीज़ मूल के लोगों को भी चीन से ख़तरा है। वहीं दूतावास बंद करवाने के लिए अमेरिका द्वारा दी गई वजहों को चीन ने बकवास बताया था। चीन ने ये भी कहा था कि अगर अमेरिका ने अपना फैसला नहीं बदला, तो वो जवाबी कार्रवाई करेगा। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने अमेरिका पर आरोप लगाया था कि अमेरिका स्थित चीनी दूतावास के चीनी राजनयिकों को लगातार धमकियां भरे फोन कॉल मिल रहे थे।
चीन की जवाबी कार्रवाई
हूस्टन स्थित चीनी वाणिज्यिक दूतावास को बंद करने की अमेरिका की घोषणा के बाद चीन ने जवाबी कार्रवाई की थी। चीन ने अमेरिका को आदेश दिया था कि वह पश्चिमी शहर चेंगदू में स्थित अपने वाणिज्य दूतावास को बंद कर दें। दोनों देशों की एक दूसरे पर की गई इस कार्रवाई के बाद इन देशों के संबंध दशकों में अपने सबसे निचले स्तर तक पहुंच गए हैं।
Created On :   18 Aug 2020 10:55 PM IST