अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे ने जगाई चीन की उम्मीदें, CPEC कॉरिडोर के विस्तार में जुटा
- CPEC कॉरिडोर के सपने को विस्तारित करने के लिए प्रेरित किया
- अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी ने चीन के लिए जगाई उम्मीदें
- भारत इस घटनाक्रम पर करीब से रख रहा नज़र
डिजिटल डेस्क, काबुल। अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी और तालिबान के देश पर कब्जे ने चीन को उसके CPEC कॉरिडोर के सपने को विस्तारित करने के लिए प्रेरित किया है। इस घटनाक्रम को लेकर चीन की प्रतिक्रिया पर भारत करीब से नज़र रख रहा है। खुफिया रिपोर्टों पर आधारित समीक्षा के अनुसार, अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रमों के बीच चीन ने एक बार फिर अफगानिस्तान में CPEC के एक्सटेंशन के लिए पेशावर-काबुल मोटरवे के निर्माण का प्रस्ताव दिया है।
अमेरिका की वापसी ने बढ़या चाइनीज इंटरेस्ट
इंटेलिजेंस रिव्यू में कहा गया है कि अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी ने देश में चाइनीज इंटरेस्ट को पुनर्जीवित किया है। अमेरिका की वापसी के बाद अफगानिस्तान में प्रवेश करने का चीन का प्रयास कुछ ऐसा था जिसकी भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान उम्मीद कर रहे थे। पिछले साल, भारतीय वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने एक कार्यक्रम में कहा था कि चाइनीज पॉलिसी में पाकिस्तान एक मोहरा बन रहा है और अमेरिकी सेना के बाहर निकलने के बाद अफगानिस्तान में प्रवेश करने के लिए देश का इस्तेमाल कर सकता है।
चीन को सेंट्रल एशिया में एंट्री का मौका
उन्होंने कहा था, "अफगानिस्तान से अमेरिका के बाहर निकलने से इस क्षेत्र में चीन के लिए विकल्प खुले हैं। डायरेक्ट और पाकिस्तान दोनों माध्यम से। चीन को इससे सेंट्रल एशिया में एंट्री का मौका मिल गया है। इस क्षेत्र में एंट्री करने के लिए लंबे समय से उसकी नजरे जमी हुई थी।"
क्या है CPEC?
चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) चीन और पाकिस्तान के बीच एक द्विपक्षीय परियोजना है जिसमें 3,000 किलोमीटर में फैले सड़कों, रेलवे और पाइपलाइनों का एक बड़ा नेटवर्क है जो चीन, पाकिस्तान और क्षेत्र के अन्य देशों के बीच व्यापार की सुविधा प्रदान करेगा। इस परियोजना का उद्देश्य पाकिस्तान में इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाना और चीन के शिनजियांग प्रांत को पाकिस्तान में ग्वादर और कराची जैसे बंदरगाहों से जोड़ना है जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा मिले।
दुनिया की सबसे ऊंची पक्की अंतरराष्ट्रीय सड़क
1,300 किमी लंबा काराकोरन हाईवे चीन और पाकिस्तान को काराकोरम पहाड़ों से जोड़ता है, जिससे यह दुनिया की सबसे ऊंची पक्की अंतरराष्ट्रीय सड़क बन गई है। काराकोरम दर्रा भारत और चीन के लिए रणनीतिक है क्योंकि यह लद्दाख के भारतीय क्षेत्र और तिब्बत में चीन के जिंगियांग ऑटोनॉमस रीजन के बीच की सीमा पर पड़ता है। शिनजियांग की सीमा से लगे अन्य देश उत्तर पूर्व में अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, रूस और मंगोलिया हैं।
चीन-पाक के बीच 46 अरब डॉलर के समझौते
CPEC का आधिकारिक शुभारंभ 20 अप्रैल, 2015 को हुआ था, जब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 46 अरब डॉलर के संयुक्त मूल्य के 51 अग्रीमेंट और मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग पर हस्ताक्षर किए थे।
चीन को तालिबान से समस्या नहीं
बीजिंग पहले ही संकेत दे चुका है कि उसे तालिबान के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने में कोई समस्या नहीं है और उसने वित्तीय सहायता के संकेत भी दिए हैं। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा है कि चीन सेल्फ कैपेसिटी बिल्डिंग, पीस, रिकंस्ट्रक्शन और लोगों की आजीविका में सुधार करने में देश की मदद करने में सकारात्मक भूमिका निभाएगा। तालिबान के कब्जे के बाद भी चीन ने अपना काबुल दूतावास खुला रखा है। तालिबान के कब्जे के बाद भी चीन ने अपना काबुल दूतावास खुला रखा है। तालिबान नेता अब्दुल सलाम हनाफी ने चीनियों से मुलाकात भी की है।
Created On :   25 Aug 2021 7:50 PM IST