बाघ संरक्षण पर चीन व भारत अपना अपना प्रयास कर रहे हैं

China and India are making their own efforts on tiger conservation
बाघ संरक्षण पर चीन व भारत अपना अपना प्रयास कर रहे हैं
चीन बाघ संरक्षण पर चीन व भारत अपना अपना प्रयास कर रहे हैं

डिजिटल डेस्क, बीजिंग । हर वर्ष 29 जुलाई को वैश्विक बाघ दिवस मनाया जाता है। चीन और भारत दोनों दुनिया के जंगली बाघ वितरण देश हैं। इस दिवस के मौके पर हम बाघ संरक्षण पर दोनों देशों के प्रयासों की चर्चा करते हैं।

चीन सरकार हमेशा से जंगली बाघ संरक्षण पर बड़ा ध्यान देती है। वर्ष 2011 में चीन ने चीन में जंगली बाघ रिकवरी परियोजना जारी की। वर्ष 2015 में चीन ने प्राकृतिक वनों की कटाई पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है और हाल के कई वर्षों में चीन पारिस्थितिक सभ्यता के निर्माण को बढ़ावा देना जारी रखता है। चमकदार पानी और हरे-भरे पहाड़ अमूल्य संपत्ति हैं की अवधारणा ने धीरे-धीरे लोकप्रियता हासिल की है। खास तौर पर साइबेरियन टाइगर और लेपर्ड नेशनल पार्क की स्थापना की गई, जिससे साइबेरियन टाइगर जैसे जंगली जानवरों को एक उज्‍जवल भविष्य मिला।

साथ ही, चीन ने इस पक्ष में कानून प्रवर्तन और प्रबंधन को भी मजबूत किया है, और जंगली बाघों के लिए एक सुरक्षित आवास प्रदान करने के लिए रेंजरों की एक बड़ी और अत्यधिक कुशल टीम की स्थापना की है। उनके अलावा चीन पर्यावरण पर सामुदायिक विकास के दबाव को कम करने और मनुष्यों और जानवरों के बीच संघर्ष को कम करने के लिए संरक्षित क्षेत्रों के आसपास के समुदायों में हरित विकास परियोजनाएं चलाता है।

उधर, भारत सरकार ने वर्ष 1972 में तो बाघ संरक्षण अभियान परियोजना बनायी, और विभिन्न क्षेत्रों, जहां जंगली बाघ रहते हैं, में संरक्षण रिजर्व की स्थापना की। वर्ष 2021 तक भारत के 14 बाघ संरक्षण रिजर्व को संरक्षण सुनिश्चित बाघ मानक प्राप्त हुआ, जो केवल उन क्षेत्रों को प्रदान किया जाता है जो बाघ संरक्षण को उच्च स्तर पर लागू करते हैं।

गौरतलब है कि वर्ष 2010 के 23 नवंबर को बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, चीन, भारत, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, रूस, थाईलैंड और वियतनाम समेत 13 देशों, जहां जंगली बाघ रहते हैं, के नेताओं ने बाघ संरक्षण पर एक अंतर्राष्ट्रीय मंच में भाग लिया। इस शिखर मंच पर लोगों ने महसूस किया कि जंगली बाघों का अस्तित्व एक महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंच गया है। बीते एक सौ वर्षों में वैश्विक जंगली बाघों की संख्या 1 लाख से घटकर 3500 से कम तक हो गयी है। जंगली बाघ स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र के महत्वपूर्ण प्रतीकों में से एक है। इसलिये जंगली बाघ संरक्षण के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने के लिये इस शिखर मंच ने प्रत्येक वर्ष 29 जुलाई को ह्लवैश्विक बाघ दिवसह्व के रूप में नामित किया।

(आईएएनएस)

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Created On :   27 July 2022 7:01 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story