नज़रअन्दाज़ होता रहा है बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य, कोविड ने किया है आग में घी का काम

Childrens mental health is being ignored, Covid has done the work of ghee in the fire
नज़रअन्दाज़ होता रहा है बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य, कोविड ने किया है आग में घी का काम
बच्चों पर कोविड का असर नज़रअन्दाज़ होता रहा है बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य, कोविड ने किया है आग में घी का काम

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।  दुनिया भर में बच्चों की स्थिति के बारे में जारी एक ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोनावायरस संकट से पहले भी, बच्चे व किशोर, मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के बोझ तले दबे हुए थे और उनकी मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी चुनौतियों के हल पेश करने के लिये, कोई ख़ास संसाधन निवेश नहीं हो रहा था।

यूएन बाल एजेंसी की इस महत्वपूर्ण रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में, 10 से 19 वर्ष की उम्र के हर सात में से एक, पुष्ट हो चुकी मानसिक समस्याओं के साथ जीवन जी रहे हैं।

इन हालात में, हर साल लगभग 46 हज़ार बच्चे या किशोर, आत्महत्या करके अपनी जान गँवा देते हैं और यह, इस आयु वर्ग में मौतें होने के शीर्ष कारणों में पाँचवाँ कारण है।

इसके बावजूद मानसिक स्वास्थ्य ज़रूरतों और मानसिक स्वास्थ्य क्षेत्र के लिये उपलब्ध धन के बीच गहरा अन्तर है। सरकारों के स्वास्थ्य बजटों का केवल दो प्रतिशत हिस्सा ही, मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी ज़रूरतों पर ख़र्च किया जाता है।

बड़े संकट की झलक भर
यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हैनरीएटा फ़ोर का कहना है कि पिछले 18 महीने, बच्चों पर बहुत भारी रहे हैं।

उन्होंने कहा, “देशों में राष्ट्रव्यापी तालाबन्दियाँ और आवागमन पर महामारी सम्बन्धी प्रतिबन्ध लागू होने के कारण, बच्चों को अपने जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष, अपने परिवारों, दोस्तों, कक्षाओं और खेलकूद से दूर और वंचित रहते हुए गुज़ारने पड़े हैं जबकि ये सभी, बचपन का बहुत अहम हिस्सा होते हैं।”

“इसका असर बहुत व्यापक है, और ये स्थिति, बहुत विशाल संकट की एक झलक भर है। यहाँ तक कि महामारी शुरू होने से पहले भी, बहुत से बच्चों को, मानसिक स्वास्थ्य के ऐसे मुद्दों के भारी बोझ तले दबे रहकर ज़िन्दगी गुज़ारनी पड़ रही थी जिनका कोई समाधान निकालने की कोशिशें नहीं हुईं।”

हैनरीएटा फ़ोर ने खेद प्रकट करते हुए कहा कि इन अति महत्वपूर्ण ज़रूरतों पर ध्यान देने के लिये, बहुत कम सरकारी संसाधन लगाए जा रहे हैं। “मानसिक स्वास्थ्य और भविष्य में जीवन के परिणामों के बीच सम्बन्ध को, पर्याप्त और समुचित महत्ता नहीं दी जा रही है।”

तालाबन्दियाँ और नुक़सान
यूनीसेफ़ द्वारा समर्थित यह अध्ययन 21 देशों में बच्चों, किशोरों व वयस्कों के हालात पर किया गया।

इस अध्ययन के आरम्भिक निष्कर्षों में महामारी के व्यापक प्रभाव का दायरा पेश किया गया है। औसतन, हर पाँच युवाओं में से एक का कहना है कि वो अक्सर अवसाद का शिकार या नकारात्मक भावनाओं के तले दबे हुए महसूस करते हैं, या फिर दैनिक जीवन की सामान्य चीज़ों में उनकी दिलचस्पी बहुत कम होती है।

यूएन बाल एजेंसी का कहना है कि अब जबकि महामारी तीसरे वर्ष में दाख़िल हो रही है, तो बच्चों व किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य और उनके रहन-सहन पर बहुत भारी नकारात्मक प्रभाव भी जारी है।

ताज़ा आँकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में, सात में से एक बच्चे को, तालाबन्दियों के सीधे प्रभावों का सामना करना पड़ा है।

चिन्ता और भय का बोझ
बहुत से बच्चों का कहना है कि वो अपने दैनिक जीवन, शिक्षा, मनोरंजन और खेलकूद में पैदा हुए व्यवधान के कारण, भयभीत, क्रोधित और भविष्य के बारे में चिन्तित महसूस करते हैं। साथ ही परिवारों की आमदनी व स्वास्थ्य के बारे में भी ऐसे ही विचार व भावनाएँ रहती हैं।

रिपोर्ट में, चीन में वर्ष 2020 के आरम्भ में किये गए एक ऑनलाइन अध्ययन का सन्दर्भ भी दिया गया है जिसमें कहा गया था कि भाग लेने वालों में से लगभग एक तिहाई ने कहा था कि वो डरे हुए या चिन्तित महसूस करते हैं।

बदलाव में संसाधन निवेश की ज़रूरत
यूनीसेफ़ की इस रिपोर्ट में देशों की सरकारों और उनके साझीदारों से, बच्चों, किशोरों और स्वास्थ्य देखभाल करने वालों का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर बनाने का आहवान किया गया है।

साथ ही, ज़रूरतमन्दों को मदद मुहैया कराने और बहुत निर्बल हालात में रहने वालों की देखभाल सुनिश्चित किये जाने का आहवान भी किया गया है।

यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हैनरीएटा फ़ोर का कहना है, “मानसिक स्वास्थ्य भी सम्पूर्ण शारीरिक स्वास्थ्य का हिस्सा है – हम इसे किसी अन्य तरह से देखना जारी नहीं रख सकते।”

“धनी व निर्धन सभी देशों में समान रूप से, बहुत लम्बे समय से, मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बहुत कम समझ देखी गई है, और बच्चों की क्षमताओं व सम्भावनाओं के भरपूर प्रोत्साहन के लिये बहुत कम संसाधन निवेश हुआ है। इस स्थिति को बदले जाने की ज़रूरत है।”

क्रेडिट- संयुक्त राष्ट्र

नज़रअन्दाज़ होता रहा है बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य, कोविड ने किया है आग में घी का काम

Created On :   19 Oct 2021 1:09 PM IST

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