ऋषि सुनक की सरकार कर सकती है कई मामलों में खुलकर भारत का समर्थन,चीन और पाकिस्तान की बढ़ सकती हैं मुश्किलें!

ऋषि सुनक की सरकार कर सकती है कई मामलों में खुलकर भारत का समर्थन,चीन और पाकिस्तान की बढ़ सकती हैं मुश्किलें!
ब्रिटेन के पास है वीटो पावर ऋषि सुनक की सरकार कर सकती है कई मामलों में खुलकर भारत का समर्थन,चीन और पाकिस्तान की बढ़ सकती हैं मुश्किलें!
हाईलाइट
  • ब्रिटेन यूएन में सिक्योरिटी काऊंसिल का परमानेंट मेंबर है।

डिजिटल डेस्क,दिल्ली। भारतवंशी ऋषि सुनक को ब्रिटेन का पीएम बनाए जाने के बाद पूरी दुनिया से उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दी गई। सुनक को ब्रिटेन के पीएम बनाए जाने की खुशी जितनी ब्रिटेन के लोगों में देखी गई शायद ऐसी ही खुशी भारत के लोगों के अंदर भी देखने को मिली। भारत की तरफ से पीएम मोदी सहित कई बड़े नेताओं और आम लोगों ने भी सुनक को शुभकामना संदेश भेजे हैं। दरअसल भारत के लोगों के द्वारा भेजे गए संदेश के पीछे के प्रमुख कारण यह भी है कि ऋषि सुनक पहले ऐसे भारतीय है जो इस पद पर पंहुच पाए हैं। यह पद ब्रिटेन का सवोच्च पद है,जिसके पास यूएन में वीटो पावर है। वीटो पावर होना उस देश की शक्ति को दिखाता है। 

किन देशों के पास है वीटो पावर

वीटो पावर एक ऐसी शक्ति है जिससे कोई भी वीटो पावर वाला देश यूएन में पेश किए गए किसी भी प्रस्ताव पर रोक लगा सकता है। अभी तक यह वीटो पावर केवल पांच देशों के पास ही है।इन पांच देशों में चीन, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं।ये देश यूएन सिक्योरिटी काउंसिल के स्थायी सदस्य हैं। इनमें शामिल हर देश अपने वीटो पावर का इस्तेमाल कई बार कर चुका है।

भारत को मिलेगा फायदा?

ब्रिटेन यूएन में सिक्योरिटी काऊंसिल का परमानेंट मेंबर है। भारत और ब्रिटेन के रिश्ते पहले भी काफी अच्छे रहे हैं,और अब ऋषि सुनक की मौजूदगी भी भारत को कहीं न कहीं फायदा पंहुचा सकती है। यूएन में कई बार देखा गया है कि भारत के द्वारा लाए गए प्रस्ताव पर चीन वीटो पावर का उपयोग कर उसे रोकने का काम करता है। विशेषकर जब पाकिस्तान में रह रहे आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की बात होती है तो हर बार चीन पाकिस्तान का हितैषी बनकर उसमें उड़गा लगाने का काम करता है। लेकिन अब ऋषि सुनक के नेतृत्व वाली सरकार भारत के द्वारा लाए गए अहम प्रस्ताव का समर्थन करती है या पक्ष में वोट करती है तो यह बड़ी बात होगी।अगर ऐसा होता है तो न  केवल पाकिस्तान को बल्कि  चीन को भी झटका लग सकता है। 
  
बता दें चीन बीते कुछ माह से पाकिस्तान के आतंकियों को बचाने के लिए वीटो पावर का उपयोग करता है। हाल ही में चीन ने आंतकी हाफिज सईद के बेटे को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित होने से बचा लिया था। वहीं कुछ दिन पहले ही लश्कर के आंतकी शाहिद महमूद को वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने वाले अमेरिका और भारत के प्रस्ताव पर भी चीन ने वीटो का इस्तमाल किया था। चीन ने इससे पहले भी यूएन में कई बड़े आतंकियों को ब्लैक लिस्ट होने से बचाने का काम किया है। 

भारत चाहता है यूएन में स्थायी सदस्यता
बता दें  भारत भी इस कोशिश में लगा हुआ है कि वो यूएन सिक्योरिटी काउंसिल के स्थायी सदस्य देशों की सूची में शामिल हो जाए। इसकी कोशिश भारत कई दशकों से कर रहा है। यहीं नहीं भारत ने कई मंचो से इस बात के संकेत भी दिए है कि उसे यह जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। भारत कई बार यूएन का अस्थायी सदस्य बन चुका है। कई देश भारत को स्थायी सदस्यता दिए जाने के पक्ष में दिखाई देते रहे हैं लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो पाया है। इस मामले को लेकर हमेशा से ही मतभेद रहे हैं दरअसल इसे बड़े देशों की मोनोपॉली के रूप में देखा जाता है। क्योंकि वीटो पावर में किसी तरह का संसोधन करना होता है तो इन पांच स्थायी सदस्यों की सहमति के बिना नहीं किया जा सकता है। ब्रिटेन पहले भी यूएन में भारत की स्थाई सदस्यता दिए जाने की बात का समर्थन करता रहा है। 

लेकिन ऋषि सुनक के पीएम बनने के बाद से यह माना जा रहा है कि वह कई मामलों में भारत का समर्थन करेंगें। हालाकिं यह तो आने वाले समय में ही पता चल पाएगा कि वह भारत को लेकर किस तरह किस तरह से काम करते हैं। 
 

Created On :   26 Oct 2022 6:27 PM IST

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