लाहौर में अमृतसरी हरीसा, जालंधरी मोतीचूर और बंबइया बिरयानी

Amritsari Harissa, Jalandhari Motichur and Bombay Biryani in Lahore.
लाहौर में अमृतसरी हरीसा, जालंधरी मोतीचूर और बंबइया बिरयानी
लाहौर में अमृतसरी हरीसा, जालंधरी मोतीचूर और बंबइया बिरयानी
हाईलाइट
  • लाहौर में अमृतसरी हरीसा
  • जालंधरी मोतीचूर और बंबइया बिरयानी

लाहौर, 10 जनवरी (आईएएनएस)। भारत और पाकिस्तान के लगातार बने रहने वाले तनाव के बीच पाकिस्तानी पंजाब के शहर लाहौर में लोग हमेशा की तरह भारतीय नामों से जुड़े व्यंजनों का स्वाद ले रहे हैं।

एक्सप्रेस न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अमृतसरी हरीसा, जालंधर के मोतीचूर और बंबई की बिरयानी का मजा पाकिस्तानी नागरिकों के साथ-साथ वे विदेशी पर्यटक भी उठाते हैं जो लाहौर घूमने आते हैं। लोगों का कहना है कि उन्हें इस बात से कोई सरोकार नहीं है कि खाने का नाम क्या है और इससे कौन सा देश जुड़ा है, उन्हें सरोकार इसके स्वाद से है।

जालंधर मोतीचूर नाम की दुकान लाहौर के अनारकली बाजार में है। इसकी स्थापना के सौ साल पूरे होने जा रहे हैं। इस दुकान की खास सौगात देसी घी के मोतीचूर लड्डू और मोती पाक बर्फी है। इनकी धूम पूरे पाकिस्तान में है और विदेशी पर्यटक भी इस दुकान का पता पूछकर यहां आते हैं।

दुकान में काम करने वाले लियाकत अली खान ने बताया कि वह यहां पचास साल से काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस दुकान की स्थापना जालंधर के रहने वाले हाजी अब्दुल करीम ने साल 1922 में की थी। उनकी जालंधर में भी ऐसी ही दुकान थी। अब उनकी चौथी पीढ़ी इस दुकान को संभाल रही है।

उन्होंने कहा कि भारत विभाजन और पाकिस्तान बनने के बाद दोनों देशों के बीच भीषण तनाव के कई मौके आए, जंगें भी हुईं लेकिन कभी किसी ने भी इस बात के लिए दबाव नहीं डाला कि दुकान का नाम बदल दो क्योंकि इसमें भारतीय शहर का नाम जुड़ा हुआ है।

लाहौर की निस्बत रोड पर स्थित है दुकान अमृतसरी हरीसा। इस दुकान को खुले सत्तर साल होने जा रहे हैं। दुकान के मैनेजर मोहम्मद अली अतारी ने कहा कि उनके दादा 1947 के बंटवारे के बाद अमृतसर से लाहौर आए थे। यहां आकर उन्होंने अमृतसरी हरीसा शुरू की थी। आज भी उनके बताए तरीके से ही हरीसा पकाया और परोसा जाता है और कभी किसी ने इसके जायके को लेकर कोई शिकायत नहीं की।

Created On :   10 Jan 2020 2:00 PM GMT

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