अमेरिकी और ब्रिटिश खुफिया एजेंसियां किसी को डरा नहीं सकतीं

American and British intelligence agencies cant scare anyone
अमेरिकी और ब्रिटिश खुफिया एजेंसियां किसी को डरा नहीं सकतीं
अमेरिका अमेरिकी और ब्रिटिश खुफिया एजेंसियां किसी को डरा नहीं सकतीं

डिजिटल डेस्क, बीजिंग। चीन और जर्मनी ने 7 जुलाई को 10 वाणिज्यिक सहयोग परियोजनाओं को कवर करते हुए लगभग 20 करोड़ यूरो के कुल निवेश वाले समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह चीन के बारे में विदेशी निवेशकों की आशावाद का ताजा उदाहरण है, और एक दिन पहले पश्चिमी कंपनियों को डराने के लिए अमेरिका और ब्रिटिश खुफिया एजेंसियों के संयुक्त प्रयासों का भी मजाक है।

6 जुलाई को लंदन में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में अमेरिकी एफबीआई निदेशक क्रिस्टोफर रे और ब्रिटिश एमआई 5 निदेशक केन मैक्कलम ने संयुक्त रूप से एक तथाकथित चेतावनी जारी की, जिसमें दावा किया गया कि चीन प्रमुख उद्योगों पर हावी होने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आर्थिक जासूसी और हैकिंग संचालन के माध्यम से पश्चिम के बौद्धिक संपदा अधिकार को लूट रहा है। इसके साथ ही चेतावनी में चीन पर सबसे बड़े दीर्घकालिक खतरे के रूप में धब्बा लगाया गया। उस दिन अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने विभिन्न स्टेटों, स्थानीय सरकारी अधिकारियों और व्यापारिक नेताओं को चीन के खिलाफ तथाकथित जासूसी विरोधी नोटिस जारी किया।

यह अभी भी याद किया जाता है कि पिछले साल अमेरिकी खुफिया एजेंसी को वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए एक तमाशा करने का आदेश दिया गया था, जो दुनिया की हंसी के बीच गतिरोध में समाप्त हो गया। इस वर्ष, अमेरिकी खुफिया एजेंसी ब्रिटिश समकक्ष के साथ एक बार फिर चाल बना रही है, जिनका मकसद चीन-विरोधी भावना को भड़काना, दुनिया के साथ चीन के आर्थिक सहयोग को नष्ट करना और चीन को नियंत्रित करने के लिए अमेरिकी सरकार की रणनीति का समर्थन करना हैं। इस बार उनकी यह चाल भी जरूर विफल होगी।

जैसे ही प्रिज्म घटना का खुलासा हुआ, एड्वर्ड स्नोडेन ने सबूत पेश किया कि अमेरिका ने चीन में हुआवेई कंपनी के मुख्यालय के सर्वरों को लंबे समय तक हैक किया था और हुआवेई के अधिकारियों के संचार की निगरानी की थी। इस साल की शुरूआत से अब तक, चीन की साइबर सुरक्षा एजेंसी ने चीन समेत दुनिया भर के कई देशों में महत्वपूर्ण लक्ष्यों के खिलाफ अमेरिका के सीआईए और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी द्वारा शुरू किए गए कई साइबर हमलों का पदार्फाश किया है।

अमेरिकी खुफिया एजेंसियां अब तक चीन की पश्चिमी तकनीक की चोरी पर हमला करने के लिए कोई सबूत पेश करने में विफल रही हैं, लेकिन चीन और दुनिया भर के कई देशों के खिलाफ उनकी आर्थिक जासूसी और हैकिंग ऑपरेशन के कई सबूत मिले हैं। आखिरकार सबसे बड़ा दीर्घकालिक खतरा कौन है, क्या यह स्पष्ट नहीं है?

हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया परिषद के पूर्व अध्यक्ष और हार्वर्ड विश्वविद्यालय में प्रतिष्ठित प्रोफेसर जोसेफ न्ये ने लेख प्रकाशित कर कहा कि अमेरिका की रणनीति केवल प्रमुख शक्तियों के बीच टकराव के बारे में नहीं होनी चाहिए। एक अच्छी रणनीति ऐसी होनी चाहिए कि अमेरिका और चीन आपसी सहयोग कर सकते और प्रतिस्पर्धा भी कर सकते। उनकी यह सलाह अमेरिकी नीति निमार्ताओं द्वारा ध्यान देने योग्य है। चीन ईमानदार और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का स्वागत करता है, और बेईमान जीरो-सम गेम का विरोध करता है। तथ्य साबित करेंगे कि केवल चीन के बारे में झूठ गढ़ना और चीन को अलग कर देना अमेरिका, यहां तक कि पश्चिमी दुनिया के लिए एक वास्तविक खतरा है।

सॉर्स- आईएएनएस

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Created On :   10 July 2022 9:00 PM IST

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