Covid-19: कोरोना की उत्पत्ति पर घिरा चीन, अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया के बाद अब यूरोपियन कमीशन ने किया स्वतंत्र जांच का समर्थन
डिजिटल डेस्क, वॉशिंगटन। नोवल कोरोनावायरस से दुनियाभर में 34 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि 2 लाख 40 हजार के करीब लोगों ने अपनी जान गंवाई हैं। इस बीच चीन पर लगातार दबाव बढ़ता दिखाई दे रहा है। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बाद अब यूरोपियन कमीशन की प्रेसिडेंट उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कोरोनावायरस की उत्तपत्ति की स्वतंत्र जांच का समर्थन किया है। इतना ही नहीं उन्होंने चीन से भी इस जांच में सहयोग करने का आग्रह किया है। लेयेन ने इस जांच को पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण बताया है।
ऑस्ट्रेलिया ने चीन के खिलाफ खोला मोर्चा
उधर, चीन पर दबाव बनाने के लिए तमाम देश विभिन्न डिप्लोमेटिक लीवर का उपयोग कर रहे हैं। उदाहरण के लिए ऑस्ट्रेलिया ने चीन के साथ अपने राजनयिक संघर्ष में एक और मोर्चा खोल दिया है। ऑस्ट्रेलिया चाहता है कि ताइवान की एंट्री विश्व स्वास्थ्य संगठन में हो। ऑस्ट्रेलिया के इस कदम से चीन का नाराज होना तय है। वहीं WHO असेंबली की 17 मई को मीटिंग होना है। यह WHO के सदस्य देशों की वार्षिक सभा है। पिछले महीने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन पहले ही संकेत दे चुके हैं कि वह इस मीटिंग में कोरोनावायरस के ग्लोबल इन्वेस्टिगेशन की मांग को उठाएंगे।
वुहान के वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट से आया वायरस
अमेरिका भी चीन पर लगातार दबाव बना रहा है और कोरोनावायरस के प्रसार के लिए जिम्मेदार ठहरा रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि उनके पास इसके सबूत है कि यह वायरस वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से आया है। हलांकि उन्होंने ये भी कहा था कि फिलहाल वह इन सबूतों को वह अभी सामने नहीं ला सकते क्योंकि उन्हें इसकी अनुमति नहीं है। वहीं ट्रंप ने इस बात पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था कि क्या वह कोरोनावायरस के प्रसार के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को जिम्मेदार मानते हैं।
वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में होती है चमगादड़ों पर रिसर्च
चीन की जिस लैब से नोवल कोरोनावायरस के फैलने का दावा किया जा रहा है उसका नाम वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (WIV) है। पहले इसका नाम वुहान माइक्रो बायोलॉजी लेबरोटरी था। इसकी स्थापना 1956 में की गई थी। 1978 में इसका नाम वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी रखा गया था। ये लैब वर्ल्ड क्लास रिसर्च के लिए पहचानी जाती है। इस लैब में लंबे समय से चमगादड़ों में मौजूद कोरोनावायरस को लेकर रिसर्च चल रही है। 2015 में इस इंस्टिट्यूट ने एक रिसर्च पेपर पब्लिश किया। इस पेपर में दावा किया गया कि चमगादड़ में मौजूद कोरोना वायरस इंसानों में ट्रांसफर हो सकता है। 2017 में भी इसी तरह की एक रिसर्च सामने आई थी।
Created On :   2 May 2020 2:58 PM IST