GSP कार्यक्रम में शामिल होगा भारत ! 44 अमेरिकी सांसदों ने ट्रंप को लिखा पत्र
- 44 अमेरिकी सांसदों ने अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटहाइजर से की अपील
- जीएसपी के तहत भारत को अमेरिका से व्यापार में लाभार्थी का विशेष दर्जा मिला था
- जीएसपी व्यापार कार्यक्रम में शामिल हो सकता है भारत
डिजिटल डेस्क,वाशिंगटन। भारत को फिर से जीएसपी व्यापार कार्यक्रम में शामिल करने के लिए अमेरिका के 44 सांसदों ने ट्रंप प्रशासन को पत्र लिखा है। ये पत्र दोनों देशों के बीच व्यापारिक समझौते को मजबूत और आसान बनाने के लिए लिखा गया है। अमेरिकी सांसद जिम हाइम्स और रॉन एस्टेस की तरफ से लिखे पत्र में कुल 26 डेमोक्रेट्स और 18 रिपब्लिकन सासंदों ने हस्ताक्षर किए हैं। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटहाइजर को लिखे पत्र में सांसदों ने कहा है कि भारत को इस कार्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। भविष्य को ध्यान में रखते हुए हमें अपने उद्योगों के लिए बाजारों की उपलब्धता सुनिश्चित करानी होगी। कुछ छोटे मुद्दों पर मोल-भाव की वजह से इस पर असर नहीं पड़ना चाहिए।
44 members of the "Congress of the United States" in a letter to US Trade Representative Robert Lighthizer: We also have a strong desire to see the Generalized System of Preferences (GSP) eligibility for India reinstated. https://t.co/bIc9ssMWx9
— ANI (@ANI) September 18, 2019
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि को लिखे पत्र में "कांग्रेस ऑफ द यूनाइटेड स्टेट्स" के 44 सांसदों ने कहा है कि चेंज इन गवर्नमेंट को बकाया चिंताओं को दूर करने के लिए नए अवसर प्रदान करेगा। हमें उम्मीद है कि नए भारतीय अधिकारी अमेरिकी कंपनियों और श्रमिकों के लिए बाजार पहुंच में सुधार के लिए ठोस समाधान की पेशकश भी करेंगे।
44 members of "Congress of the United States" in a letter to US Trade Representative: Change in govt provides fresh opportunity to address outstanding concernswe hope new Indian officials will offer concrete solutions that improve market access for American companies workers. https://t.co/bIc9ssMWx9
— ANI (@ANI) September 18, 2019
सांसदों पत्र के मध्यम से ट्रंप प्रशासन को बताया कि भारत से जीएसपी दर्जा छीने जाने के बाद से ही अमेरिकी कंपनियां संसद को नौकरियों और आमदनी के नुकसान के बारे में बता रही हैं। भारतीय निर्यातकों की हालत जीएसपी हटने के बाद भी बेहतर है, जबकि अमेरिकी कंपनियों को हर दिन 10 लाख डॉलर (7 करोड़ रुपए) नए टैरिफ के तौर पर चुकाने पड़ रहे हैं। नए डेटा के मुताबिक, अकेले जुलाई में ही अमेरिकी कंपनियों को 3 करोड़ डॉलर (214 करोड़ रुपए) का नुकसान हुआ।
बता दें कि भारत को जीएसपी से हटाने के पीछे ट्रंप प्रशासन ने तर्क दिया था कि उन्हें भारत से यह भरोसा नहीं मिल पाया है कि वह अपने बाजार में अमेरिकी उत्पादों को बराबर की छूट देगा। अमेरिका का कहना है कि भारत में पाबंदियों की वजह से उसे व्यापारिक नुकसान हो रहा है। ये बात ध्यान देने वाली है कि जीएसपी कार्यक्रम में शामिल विकासशील देशों को अमेरिका में आयात शुल्क से छूट मिलती है। इसके तहत भारत करीब 2000 उत्पाद अमेरिका भेजता है। इन उत्पादों पर अमेरिका में इंपोर्ट ड्यूटी नहीं लगती। भारत 2017 में जीएसपी कार्यक्रम का सबसे बड़ा लाभार्थी देश था। उसे अमेरिका में 5.7 अरब डॉलर (40,000 करोड़ रुपए) के आयात पर शुल्क में छूट मिली थी।
44 members of the "Congress of the United States" in a letter to US Trade Representative Robert Lighthizer: We are encouraged to see continued engagement between the administration the newly elected govt of India that assumed office in late May. pic.twitter.com/4JYeHhZZMQ
— ANI (@ANI) September 18, 2019
गौरतलब है कि अमेरिका ने इसी साल जून में भारत को जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज (जीएसपी) कार्यक्रम से बाहर कर दिया था। जीएसपी के तहत भारत को अमेरिका से व्यापार में लाभार्थी का विशेष दर्जा मिला था। सांसदों ने ट्रम्प प्रशासन से कहा है कि वे भारत को फिर से जीएसपी व्यापार कार्यक्रम में शामिल करें। बता दें कि अमेरिका के जीएसपी कार्यक्रम में शामिल देशों को विशेष तरजीह दी जाती है। अमेरिका उन देशों से एक तय राशि के आयात पर शुल्क नहीं लेता।
Created On :   18 Sept 2019 9:59 AM IST