पाकिस्तान से आजादी: जानिए अलग बलूचिस्तान आजाद की मांग करने वाली गांधीवादी महरंग कौन हैं ? कैसे बनी पाकिस्तान की गांधी?

- दुनिया के 100 उभरते नेताओं में शामिल महरंग
- पिता अब्दुल गफार लॉन्गोव एक राजनीतिक एक्टिविस्ट
- 2019 में बलूच यकजेहती समिति की स्थापना की
डिजिटल डेस्क, कराची। बलूचिस्तान के कलात में 3 फरवरी, 1993 को महरंग का जन्म हुआ था। उनके पिता अब्दुल गफार लॉन्गोव एक राजनीतिक एक्टिविस्ट थे। महरंग पांच बहनें हैं और उनका एक भाई है। वो घर में सबसे बड़ी हैं। उन्होंने अपने पिता के साथ मिलकर मानवाधिकारों की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी।
पिता के साथ मिलकर मानवाधिकारों की रक्षा के लिए लड़ाई शुरू की
महरंग ने 2006 में पहली बार अपने पिता के साथ मिलकर मानवाधिकारों की रक्षा के लिए लड़ाई शुरू की। पढ़ाई के साथ महरंग अपने पिता के साथ सामाजिक आंदोलनों में शामिल होने लगी। महरंग ने बोलन मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की है। 2009 में उनके पिता का किडनैप हो गया था। उन्हें छुड़ाने के लिए महरंग ने प्रेस क्लब के सामने किताब जलाकर विरोध प्रदर्शन किया। 2011 में उन्हें तब गहरा सदमा लगा जब पिता का शव मिला। आईएसआई ने पिता की हत्या के बाद 2017 में महरंग के भाई का भी अपहरण कर लिया था, हालांकि 2018 में उसकी वापसी हो गई थी। लेकिन पाकिस्तान सेना से महरंग डरी नहीं और वो मजबूती के साथ आगे बढ़ी। पिता की हत्या के बाद पाकिस्तानी सेना और आईएसआई की करतूतों ने महरंग को मजबूत और निर्भीक बना दिया।
पिता की हत्या और भाई के अपहरण से सबक
पिता की हत्या और भाई के अपहरण से सबक लेते हुए महंरग ने 2019 में बलूच यकजेहती समिति की स्थापना की। इसका एक ही उद्देशय ही अहिंसक रास्ते पर चलकर बलूचों के अपहरण और मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे। महरंग ने घर-घर जाकर लोगों के बीच जागरूकता की अलख जगाई । धीरे धीरे ये जनआंदोलन बन गया। आंदोलन को महिला पुरुष,युवा, बड़े बूढों और बच्चों सभी का समर्थन मिला।
दुनियाभर के नेताओं का समर्थन
महरंग को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित हुईं मलाला यूसुफजई समेत दुनिया भर के अनेक सोशल एक्टिविस्टों का समर्थन मिला। बीते वर्ष बीबीसी ने डॉ. महरंग बलूच को दुनिया की सौ प्रभावशाली महिलाओं में शामिल किया था। जबकि टाइम मैगजीन ने दुनिया के सौ उभरते लीडरों में उन्हें स्थान मिला।
Created On :   22 March 2025 2:13 PM IST