SCO समिट: भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की कजाकिस्तान में चीनी समकक्ष के साथ हुई द्विपक्षीय वार्ता

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की कजाकिस्तान में चीनी समकक्ष के साथ हुई द्विपक्षीय वार्ता
  • एससीओ सबसे प्रभावी संगठनों में शुमार
  • एससीओ में 8 देश शामिल
  • एससीओ का गठन 15 जून 2001 को हुआ
  • समिट में पुतिन, जिनपिंग और शरीफ भी पहुंचे

डिजिटल डेस्क, अस्ताना। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में चीन के अपने समकक्ष वांग यी से मुलाकात की। अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) समिट का आयोजन हो रहा है। सम्मेलन में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई। आपको बता दें कि इस समिट में रूस के राष्ट्रपति पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी पहुंचे हैं। आपको बता दें 3 से 4 जुलाई तक शंघाई सहयोग संगठन की 24वीं बैठक का आयोजन हो रहा है।

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि आज सुबह अस्ताना में सीपीसी पोलित ब्यूरो के सदस्य और विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। सीमा क्षेत्रों में शेष मुद्दों के शीघ्र समाधान पर चर्चा की। इस दिशा में कूटनीतिक और सैन्य माध्यमों से प्रयासों को दोगुना करने पर सहमति हुई।

वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान करना और सीमा क्षेत्रों में शांति और सौहार्द सुनिश्चित करना आवश्यक है। तीन परस्पर - परस्पर सम्मान, परस्पर संवेदनशीलता और परस्पर हित - हमारे द्विपक्षीय संबंधों का मार्गदर्शन करेंगे।

इससे पहले भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया कि एससीओ में भारत की प्राथमिकता प्रधानमंत्री के 'Secure SCO' विजन पर आधारित होगी। भारत का जोर सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, सहयोग, संपर्क, एकता, संप्रभुता का सम्मान, क्षेत्रीय एकता और पर्यावरण सुरक्षा पर है। इस दौरान बीते 20 सालों की गतिविधियों की समीक्षा की जाएगी और आपसी सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की जाएगी। विदेश मंत्री जयशंकर इस समिट में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

SCO की ताकत?

8 सदस्यीय देशों वाले शंघाई सहयोग संगठन में यूरेशिया यानी यूरोप और एशिया का 60% से ज्यादा क्षेत्रफल है। दुनिया की 40% से ज्यादा आबादी इसके सदस्य देशों में रहती है। दुनिया की जीडीपी में इसकी एक-चौथाई हिस्सेदारी है। इतना ही नहीं, इसके सदस्य देशों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के दो स्थायी सदस्य (चीन और रूस) और चार परमाणु शक्तियां (चीन, रूस, भारत और पाकिस्तान) शामिल हैं।

शंघाई फाइव और SCO ?

अप्रैल 1996 में एक मीटिंग हुई। इसमें चीन,रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान शामिल हुए। बैठक का उद्देशय था आपस में एक-दूसरे के नस्लीय और धार्मिक तनावों को दूर करने के लिए सहयोग करना। उस समय इसे 'शंघाई फाइव' कहा गया। सही मायनों में देखा जाए तो एससीओ का गठन 15 जून 2001 को हुआ। तब चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने 'शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन' की स्थापना की। इसके बाद नस्लीय और धार्मिक तनावों को दूर करने के अलावा कारोबार और निवेश बढ़ाना भी मकसद बन गया।

आपको बता दें 1996 में जब शंघाई फाइव का गठन हुआ, तब इसका मकसद था कि चीन और रूस की सीमाओं पर तनाव कैसे रोका जाए और कैसे उन सीमाओं को सुधारा जाए। ये इसलिए क्योंकि उस समय बने नए देशों में तनाव था। ये मकसद सिर्फ तीन साल में ही हासिल हो गया। इसलिए इसे सबसे प्रभावी संगठन माना जाता है। मौजूदा समय में एससीओ में कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, भारत ,पाकिस्तान,चीन समेत 8 देश शामिल हैं। अफगानिस्तान, ईरान, बेलारूस और मंगोलिया पर्यवेक्षक के रूप में शामिल हैं।

Created On :   4 July 2024 10:36 AM IST

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