भास्कर एक्सक्लूसिव: भारत-कनाडा के बीच आपसी मतभेद खत्म नहीं हुए तो किस देश को सबसे ज्यादा नुकसान होगा? जानें सबकुछ

भारत-कनाडा के बीच आपसी मतभेद खत्म नहीं हुए तो किस देश को सबसे ज्यादा नुकसान होगा? जानें सबकुछ
  • कनाडा की शिक्षा व्यवस्था पर पड़ सकता है असर
  • कनाडा में भारतीय सुमदाय के कई लोग मौजूद
  • बिजनेस रिलेशनशिप पर पड़ सकता है बुरा असर

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इन दिनों मीडिया में भारत और कनाडा के रिश्तों के बीच तनाव की खबरें हॉट टॉपिक बनी हुई है। इस बढ़ते तनाव का मुख्य कारण खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या है। आपको बता दें कि, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत सरकार पर हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया है। जिसका असर दोनों देशों के डिप्लोमेटिक रिश्तों पर देखने को मिल रहा है। अब दोनों देशों ने अपने-अपने हाई कमीशन से सीनियर डिप्लोमेटस को वापस बुला लिया है। वहीं, इस डिप्लोमेटिक कंट्रोवर्सी को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी चर्चा शुरू हो गई है। ऐसे में यह साफ है कि दोनों देशों के बीच के संबंध फिलहाल कठिन दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि अगर दोनों देशों के बीच आपसी मतभेद खत्म नहीं हुए तो क्या होगा? किस देश को सबसे ज्यादा नुकसान झेलना पड़ेगा? साथ ही, इसका असर क्या पड़ेगा? आइए जानते हैं...

क्या है इस तनाव का मुख्य कारण?

दरअसल, भारत-कनाडा के बीच डिप्लोमेटिक टेंशन की शुरुआत जून 2023 से हुई। जब कुछ अज्ञात हमलावरों ने एक सिख मंदिर के बाहर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी थी। बता दें कि, निज्जर खालिस्तान टाइगर फोर्स संगठन का चीफ था और भारत ने इस संगठन को आतंकवादी करार किया था। तो इस पर कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने सार्वजनिक रूप से आरोप लगाया कि इस हत्या में भारत की भूमिका हो सकती है। वहीं, भारत ने इन आरोपों को अपने सिरे से खारिज करते हुए उन्हें बेबुनियाद और राजनीतिक हितों से प्रेरित बताया। भारत का कहना है कि कनाडा ने खालिस्तानी समर्थक कट्टरपंथियों को अपनी धरती पर पनाह और बढ़ावा दिया है, जो भारत की संप्रभुता (सोवर्निटी) और अखंडता (इंटेग्रिटी) के खिलाफ काम कर रहे हैं। वहीं, इस विवाद के परिणामस्वरूप दोनों देशों ने अपने-अपने हाई कमीशन से सीनियर डिप्लोमेटस को वापस बुला लिया है। साथ ही, बिजनेस वार्ताएं थम गई है और कनाडा में रह रहे भारतीय समुदाय में भी तनाव बढ़ गया है। हालांकि, अब खबर ये आ रही है कि ट्रूडो ने यह स्वीकार किया कि निज्जर हत्याकांड मामले से जुड़ी भारत को बस खुफिया जानकारी ही दी गई थी। जांच अभी भी जारी है लेकिन इसके बावजूद उनकी सरकार ने पहले ही इंडियन हाई कमीशन से एक सीनियर डिप्लोमेट को निकालने का फैसला कर लिया था।

भारत और कनाडा के एम्बेसी और उनके काम-

भारत

भारत में कनाडा के कुल 4 एंबेसी और कॉन्सुलेट हैं। ये एम्बेसी नई दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़ और बेंगलुरु में स्थित हैं। इनका मुख्य उद्देश्य भारत और कनाडा के बीच पॉलिटिकल, फाइनेंशियल, कल्चरल और कमर्शियल रिलेशन को बढ़ावा देना है। इसके अलावा ये भारतीय नागरिकों को वीजा सेवाएं प्रदान करने, कनाडाई नागरिकों की मदद करने और दोनों देशों के बीच स्टूडेंट्स और रिसर्चर्स को सहारा देने का काम करते हैं।

कनाडा

कनाडा में भी भारत के कई एंबेसी और कॉन्सुलेट हैं। जिनमें मुख्य रूप से कनाडा की राजधानी ओटावा में भारतीय एम्बेसी हैं और टोरंटो, वैंकूवर और कैलगरी में कान्सलिट शामिल हैं। ये कार्यालय कनाडा में इंडियन सिटीजनस और माइग्रेंट्स की मदद करना, भारत-कनाडा के कमर्शियल रिलेशंस को बढ़ावा देना और वीजा-पासपोर्ट जैसी सेवाओं में सहारा देने का काम करते हैं। तो कुल मिलाकर दोनों देशों के एम्बेसी और कान्सलिट आपसी सहयोग को बढ़ावा देने और नागरिकों की सहायता के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

भारत और कनाडा के बीच संबंध कैसा है?

भारत और कनाडा के बीच संबंधों का इतिहास मजबूत और विविध रहा है। इसे हम थोड़ा डिटेल में समझेंगे।

कनाडा सिख समुदाय का अहम हिस्सा

कनाडा को सिख समुदाय देश का एक अहम हिस्सा कहा जाता है। असल में बात यह है कि 19th सेंचुरी के अंत में सिख समुदाय के लोग काम की तलाश में भारत से कनाडा जाना शुरू किया। जिसके बाद से कनाडा को सिख समुदाय का एक बड़ा हिस्सा कहा जाने लगा। बता दें कि कनाडा में सिख समुदाय का पॉलिटिकल, सोशल और कल्चरल प्रभाव गहरा हो चुका है, जिसमें कई सिख नेता कनाडाई राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। दोनों देशों के संबंधों की गहराई सिख समुदाय की यात्रा और एजुकेशन कॉर्पोरेशन से साफ तौर पर देखा जा सकता है। जो समय के साथ और भी गहरे होते गए हैं।

कनाडाई पेंशन फंड शिक्षा का इन्वेस्टमेंट

आपको बता दें कि, कनाडा को उन देशों में गिना जाता है, जहां बड़ी संख्या में भारतवंशी रहते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी भारत और कनाडा के बीच मजबूत संबंध रहें हैं। हर साल भारत से लाखों की तादाद में बच्चे वहां पढ़ाई करने जाते हैं। वहीं भारत के विदेश मंत्रालय के दस्तावेज के मुताबिक, साल 2023 में भारत के करीब दो लाख स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं। कनाडा की पेंशन फंड इन्वेस्टमेंट की बात करें तो इसका भारत में इन्वेस्टमेंट अरबों डॉलर में है। रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडाई पेंशन प्लान इन्वेस्टमेंट बोर्ड और अदर कनाडा इंस्टिट्यूशनल निवेशकों ने भारत में अबतक 75 अरब डॉलर का इन्वेस्टमेंट किया है। इसके अलावा कनाडा की 600 से ज्यादा कंपनियों की भारत में उपस्थिति है। साथ ही, 30 से ज्यादा भारतीय कंपनियों ने कनाडा में 40,446 करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट किया है। जिसमें 17,000 लोग काम करते हैं तो इस लिहाजे से भारतीयों के लिए कनाडा महत्वपूर्ण देश हो जाता है।

बिजनेस रिलेशनशिप

भारत और कनाडा के बीच के सबंध दशकों से मैत्रीपूर्ण और सहयोगी रहे हैं। ट्रेड और इन्वेस्टमेंट के फील्ड में दोनों देशों के बीच इकोनॉमिक रिलेशंस मजबूत हैं। भारत जहां कनाडा में जेम्स, जूलरी, बहुमूल्य पत्थर, मेडिसिन, रेडीमेड कपड़े, ऑर्गेनिक केमिकल और लाइट इंजीनियरिंग गुड्स एक्सपोर्ट करता है। वहीं, दूसरी ओर कनाडा से भारत दाल, न्यूजप्रिंट, वुड पल्प, एस्बेस्टस, पोटाश, आइरन स्क्रैप, कॉपर, मिनरल्स और इंडस्ट्रियल केमिकल इंपोर्ट करता है। नेशनल इन्वेस्टमेंट प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन एजेंसी (इन्वेस्ट इंडिया) के मुताबिक, भारत में फॉरेन इन्वेस्टर्स में कनाडा 18वें नंबर पर है। बता दें कि 2020 से 2023 के बीच कनाडा का भारत में कुल इन्वेस्टमेंट 3.31 अरब डॉलर था। फिर भी कनाडा का यह इन्वेस्टमेंट भारत के कुल एफडीआई का केवल 0.5% यानी आधा प्रतिशत ही है। तो अब अगर ऐसे में कनाडा ने भारत पर प्रतिरोध लगाया तो दोनों देशों के बीच गहरा रहे इकोनॉमिक रिलेशंस को धक्का लग सकता है।

आईटी और सर्विस एरिया

भारत का सूचना प्रौद्योगिकी (IT) फील्ड कनाडा के व्यापारिक रिश्तों में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। भारतीय आईटी कंपनियां जैसे TCS,Infosys,और Wipro कनाडा में बड़े पैमाने पर इन्वेस्टमेंट कर रही हैं और वहां अपने ऑपरेशंस चला रही हैं। इससे कनाडा में नौकरियों का क्रियेशन हो रहा है। टेक्नोलॉजिकल डेवलपमेंट में भी योगदान मिल रहा है। साथ ही, कनाडा की कंपनियां भी भारत में इन्वेस्टमेंट कर रही हैं खासकर फिनटेक और एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) जैसे उभरते फील्डों में।

न्यूक्लियर एनर्जी कॉरपोरेशन

भारत और कनाडा के बीच 1970 के दशक में परमाणु विवाद हुआ था। उस वक्त भारत ने कनाडा द्वारा दिए गए रिएक्टर का यूज करके पहला न्यूक्लियर टेस्ट किया था। इससे दोनों देशों के संबंध बिगड़ गए। लेकिन बाद में न्यूक्लियर एनर्जी के शांतिपूर्ण उपयोग के लिए 2010 में एक नया समझौता हुआ। जिससे रिश्तों में सुधार हुआ। आज दोनों देश न्यूक्लियर एनर्जी के फील्ड में एक-दूसरे का सहयोग कर रहे हैं।

टूरिज्म और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर

टूरिज्म और हॉस्पिटैलिटी के फील्ड में भी दोनों देशों के बीच एक अनोखा कमर्शियल रिलेशन है। कनाडा से बड़ी संख्या में टूरिस्टस हर साल भारत आते हैं। वे खासकर भारत के ऐतिहासिक स्थलों और सांस्कृतिक धरोहरों को देखने आते हैं। इसके साथ ही भारतीय टूरिस्टस के लिए कनाडा एक प्रमुख ट्रेवल डेस्टिनेशन बनता जा रहा है। खासकर उसकी नेचुरल ब्यूटी और अर्बन लाइफ के कारण। भारत से कनाडा की टूरिज्म कंपनियों और भारतीय एयरलाइंस के बीच भी कई पार्टनरशिप हैं, जो दोनों देशों के इकोनॉमिक रिलेशन को और भी मजबूत करती हैं।

एग्रीकल्चर और फूड प्रोसेसिंग

कनाडा भारत को दालों और एग्रीकल्चर का सबसे बड़ा सप्लायर है। कनाडा से भारत को बड़ी मात्रा में मसूर दाल और अन्य अनाज का एक्सपोर्ट होता है। कनाडा की कलाइमेट और एग्रीकल्चर की क्वालिटी के कारण भारतीय बाजार में कनाडाई एग्रीकल्चरों की काफी मांग है। इसके अलावा फूड प्रोसेसिंग के फील्ड में दोनों देशों के बीच टेक्निकल और इंडस्ट्रियल पार्टनरशिप बढ़ रही है। जिससे एगरो बेस्ड बिजनेस को बढ़ावा मिल रहा है।

बॉलीवुड और कनाडा का रिश्ता

बॉलीवुड और कनाडा के बीच का रिश्ता पिछले कुछ दशकों में काफी मजबूत और गहरा हुआ है। कई बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग के लिए टोरंटो और वैंकूवर जैसे शहर, बॉलीवुड फिल्मों के लिए एक पसंदीदा शूटिंग स्थल बन गए हैं। दोनों के बीच संबंध न केवल फिल्मों की शूटिंग से बल्कि कल्चरल एक्सचेंज और फिल्मी इवेंट्स के जरिए भी डिवेलप हुए हैं। साथ ही, कई बॉलीवुड सितारे कनाडा में लोकप्रिय हैं और वहां के कल्चरल इवेंट्स में भाग लेते रहते हैं। इसके अलावा बॉलीवुड सुपरस्टार अक्षय कुमार को कनाडा का "ऑनरेरी सिटिजनशिप" दी गई है, जो उनके कनाडा के साथ गहरे रिलेशनशिप को जाहिर करता है। अक्षय कुमार का कनाडा के प्रति लगाव और वहां की नागरिकता को लेकर भी काफी चर्चाएं रही हैं। हालांकि, उन्होंने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के ही प्रति अपने दायित्व को हमेशा प्राथमिकता दी है।

Created On :   19 Oct 2024 4:15 PM IST

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