डोनाल्ड ट्रंप पर विरोध: ग्रीनलैंड को लेकर ट्रंप के बयान पर भड़के डेनमार्क के सांसद, अपशब्दों के साथ किया कड़ा विरोध
- अमेरिका के राष्ट्रपति बने डोनाल्ड ट्रंप
- डेनमार्क के सांसद भड़के
- कड़ा विरोध करते हुए अपशब्दों का किया इस्तेमाल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ग्रहण कर ली है। शपथ लेने के बाद से वो अपने पहले संबोधन में डोनाल्ड ट्रंप ने ग्रीनलैंड पर अमेरिका के कंट्रोल की बात कही थी। साथ ही उन्होंने अपने चुनाव प्रचार के समय भी उन्होंने कई बार इस बात को दोहराया था। इसी को लेकर डेनमार्क के एक सांसद ने डोनाल्ड ट्रंप के बयान पर कड़ा विरोध करते हुए नजर आए हैं। इसके अलावा उन्होंने ट्रंप पर काफी ज्यादा कड़ा वार किया है।
ट्रंप को क्या कहा?
कई सालों से ग्रीनलैंड डेनमार्क का एक हिस्सा है। इसको लेकर ही यूरोप के सांसद में डेनमार्क के सांसद एंडर्स विस्टिसेन ने अपनी बातों को सामने रखते हुए कहा है कि, "डियर प्रेसिडेंट ट्रंप, आप ध्यान से सुन लें, 800 साल से ग्रीनलैंड डेनमार्क का हिस्सा है। ये हमारे देश का अभिन्न अंग हैं। ये बिक्री के लिए नहीं हैं। मैं ये आपको स्पष्ट शब्दों में समझाना चाहता हूं।" इसके बाद उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल भी किया है।
इसके तुरंत ही बाद यूरोपीय संसद के वाइस प्रेसिजेंट निकोल स्टेफनूटा ने एंडर्स को फटकार लगाई थी। उन्होंने कहा था कि सदन में इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करना बिल्कुल सही नहीं है। सदन इस तरह से नहीं चलेगा। वहीं, इससे पहले ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री म्यूट इगा ने भी कहा था कि ग्रीनलैंड उनके लोगों का है और ये बिल्कुल भी बिकाऊ नहीं है।
क्या हैं ट्रंप के इरादे जिससे सब भड़के?
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई बार ऐसा कहा है कि, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अमेरिका को ग्रीनलैंड की जरूरत है। जिसके चलते ग्रीनलैंड पर अमेरिका का कंट्रोल बहुत ही आवश्यक है।
क्यों चाहते हैं ट्रंप ग्रीनलैंड पर कंट्रोल?
बता दें, ग्रीनलैंड की स्ट्रैटैजिक लोकेशन की वजह से ऐसा है। ये उत्तरी अमेरिकी महाद्वीप का हिस्सा ही है लेकिन जियो पॉलिटकली देखा जाए तो ये यूरोप से भी जुड़ता है। ट्रंप ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर इस पर कंट्रोल करने के इरादे साफ किए हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, इसके पीछे की असली वजह ये है कि, वो इस पर प्राकृतिक संसाधनों को इस्तेमाल करना चाहते हैं। बता दें, ग्रीनलैंड साल 1953 तक डेनमार्क का उपनिवेश था। अब भी इस पर डेनमार्क का ही कंट्रोल है। लेकिन यहां पर सेमी-ऑटोनोमस सरकार है। ग्रीनलैंड की सरकार यहां पर कई सारी घरेलू नीतियों से लेकर कई सारे मामलों में फैसले लेती है। जिसके चलते रक्षा और विदेश संबंधी मामले लेने का हक भी डेनमार्क की सरकार के पास ही है।
Created On :   24 Jan 2025 1:19 PM IST