पाक पर ईरानी एयर स्ट्राइक: जानिए क्या है जैश अल-अदल? जिसके खात्मे पर तुला ईरान
- ईरान ने की पाकिस्तान स्थित आतंकी समूह पर स्ट्राइक
- जैश अल-अदल के ठिकानों को किया तबाह
- ईरान में कई हमलों को दे चुका अंजाम
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान में पल रहे आतंकवादियों पर ईरान की एयर स्ट्राइक इन दिनों चर्चा में बनी हुई है। दरअसल, एक दिन पहले ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स ने पाकिस्तान में सुन्नी बलूच आतंकवादी संगठन जैश अल-अदल के ठिकानों पर हवाई हमले करके उन्हें नेस्तानाबूत कर दिया है। पाकिस्तान के बलूचिस्तान से ऑपरेट होने वाला यह संगठन ईरान की सीमाई इलाकों में हाल ही में हुए हमलों के लिए जिम्मेदार था। हालांकि पाकिस्तान ने इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानते हुए ईरान से अपने राजदूत को वापस बुला लिया है। साथ ही ईरान के राजदूत को अपने यहां से निष्कासित कर दिया है।
ईरान ने क्यों किया हमला?
दरअसल, पिछले साल 15 दिसंबर को जैश-अल-अदल ने ईरान के सिस्तान इलाके में एक पुलिस स्टेशन पर हमला किया था। इस भीषण हमले में 12 पुलिस वालों की मौत हो गई थी। इसी हमले का बदला लेने के लिए कल ईरान ने पाकिस्तान पोषित इस आतंकी संठगन को मुंहतोड़ जबाव दिया है। दूसरे आतंकी संगठनों के जैसे ही ये जैश-अल-अदल भी पाकिस्तान के संरक्षण में फल फूल रहा है। लेकिन अब ये आतंकी संगठन उसके लिए ही सिरदर्द बनते जा रहे हैं। अमेरिका और भारत के बाद अब एक मुस्लिम देश ईरान ने भी पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों को सबक सिखाया है। इससे पूरे विश्व में पाकिस्तान की छवि आतंकियों को संरक्षण देने वाले देश के रुप में हुई है। बता दें कि भारत वैश्विक मंचों पर कई बार आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को कई बार घेर चुका है।
क्या है जैश अल-अदल?
जैश अल-अदल जिसे जैश उल-उदल के नाम से भी जाना जाता है वो एक सुन्नी सलाफी अलगाववादी आतंकी संगठन है। इसका गठन साल 2012 में आतंकी संगठन जुंदाल्लाह के मेंबरों द्वारा किया गया था। मुख्य रुप से इसका संचालन ईरान के उस इलाके से होता है जहां पर बलूचों की संख्या सबसे ज्यादा है। साथ ही इस इलाके में ईरान की पाकिस्तान के साथ ओपन बॉर्डर है। यह संगठन दावा करता है कि वह ईरान के सिस्तान और पाकिस्तान के बलूचिस्तान में रह रहे बलूचों की स्वातंत्रता और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ रहा है।
कब-कब किये हमले?
जैश उल-अदल ने ईरान पर सबसे पहले 25 अगस्त 2012 को हमला किया था। इस हमले में ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स यानी आईआरजीसी के 10 सदस्य मारे गए थे। इसके बाद संगठन ने दूसरा हमला पाक-ईरान की सीमा के पास स्थित सरवन शहर पर किया था। जिसमें 14 ईरानी सीमा सुरक्षाबल की मौत हो गई थी। जैश अल-अदल ने इस हमले को ईरान में रहने वाले उन 16 बलूच कैदियों की मौत का बदला बताया था जिन्हें ईरान सरकार ने देशद्रोही मानकर फांसी की सजा सुनाई थी। इसके कुछ दिनों बाद ही संगठन ने ईरान के सिस्तान प्रांत के जाबोल शहर में एक वाहन पर गोलाबारी की थी। जिसमें दो लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद इस आतंकी संगठन कई और हमलों की जिम्मेदारी ली थी।
Created On :   17 Jan 2024 8:18 PM IST