बांग्लादेश आरक्षण हिंसा: 28 साल में पिता की हत्या, 4 बार की PM, भारत में शरण, जानें बांग्लादेश में कैसा रहा शेख हसीना का राजनीतिक सफर

28 साल में पिता की हत्या, 4 बार की PM, भारत में शरण, जानें बांग्लादेश में कैसा रहा शेख हसीना का राजनीतिक सफर
  • बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर हो रही हिंसा
  • शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से दिया इस्तीफा
  • जानिए शेख हसीना के राजनीतिक सफर के बारे में

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर हो रहा विरोध आंदोलन की तस्वीर अब बड़े स्तर पर हिंसा की तस्वीर ले चुकी है । देश में जारी प्रदर्शनकारियों के हुड़दंग के बीच बंग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने पद से इस्तीफा देकर स्पेशल हेलिकॉप्ट28 साल में पिता की हत्या, 4 बार की PM, भारत में शरण, जानें बांग्लादेश में कैसा रहा शेख हसीना का राजनीतिक करियरर से भारत आ गई है। शेख हसीना के जाने के कुछ देर बाद बांग्लादेश की राजनीति में तख्तापलट की शुरुआत हो गई है। बांग्लादेश की आर्मी देश की सत्ता पर काबिज होने जा रही है। आइए जानते हैं कि बांग्लादेश की राजनीति में शेख हसीना का क्या योगदान रहा है।

शेख हसीना के परिवार की हत्या

बांग्लादेश की राजधानी ढाका में 28 सितंबर 1947 को शेख हसीना का जन्म हुआ था। वह शेख मुजीबुर रहमान की सबसे बड़ी बेटी हैं, जिन्होंने बांग्लादेश की स्थापना की थी। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में उनका शुरुआती जीवन बीता। लेकिन, उन्होंने अपना कदम राजनीति में एक छात्र नेता के रूप में लिया था। हसीना ने यूनिवर्सीटी ऑफ ढाका में भी स्टूडेंट पॉलिटिक्स में अहम रोल निभाई थी। लोगों ने खूब प्रशंसा की थी, इसके बाद उन्होंने अपने पिता की आवामी लीग के स्टूडेंट विंग को संभाला। हसीना बहुत बुरे दौर से गुजरने लगी थी, जब उनके माता-पिता के साथ 3 भाईयों की हत्या कर दी थी। यह घटना साल 1975 में हुई थी। इसी दौरान सेनाओं ने हसीना के परिवार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। इस मोर्चा में हसीना के माता-पिता समेत 3 भाईयों की जान चली गई थी। लेकिन, उनके पति वाजिद मियां और छोटी बहन की जान बच गई थी।

इंदिरा गांधी और शेख हसीना की दोस्ती

परिवार के हत्या के बाद शेख हसीना कुछ दिनों के लिए जर्मनी चली गईं थी। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाधी और शेख हसीना की अच्छी तालमेल थी। शेख हसीना को जर्मनी से लौटने के बाद इंदिरा गाधी ने भारत बुला लिया था। उन्होंने कुछ साल दिल्ली में गुजारी थी। इसके बाद साल 1981 में वह अपने देश वापस चली गई । देश वापस लौटने के बाद फिर से अपनी पार्टी ज्वॉइन की। साथ ही, पार्टी का कार्यभार संभालना शुरु कर दी थी। इसके बाद उन्होंने पार्टी में बहुत सारी बदलाव किए। साल 1968 में हसीना ने भौतिक विज्ञानी एम. ए. वाजिद मियां से शादी की। वाजिद से उनको एक बेटा सजीब वाजिद और बेटी साइमा वाजिद हैं।

4 बार प्रधानमंत्री पद संभाल चुकी है हसीना

बता दें, शेख हसीन जनवरी 2009 से बंग्लादेश के प्रधानमंत्री पद को संभाल रही थी। लेकिन इस समय इस्तीफे की आ रही खबर को लेकर सब हैरान है। हसीना ने साल 1986 से लेकर 1990 तक, और 1991 ले 1995 तक बिना किसी विपक्षी दल के प्रधानमंत्री पद को संभाला हैं। वह साल 1981 से अवामी लीग का नेतृत्व कर रही हैं। उन्होंने जून 1996 से जुलाई 2001 तक प्रधानमंत्री के रूप में काम किया है। उन्होंने दूसरे कार्यकाल के लिए साल 2009 में शपथ ली थी और तीसरे कार्यकाल के लिए उन्होंने साल 2014 में शपथ ग्रहण की थी। 2018 में फिर से उन्हें चौथे कार्यकाल के लिए चुना गया था।

पहली बार शपथ ग्रहण

शेख हसीना को साल 1996 से लेकर 2001 तक बंग्लादेश की प्रधानमंत्री के लिए पहली बार चुना गया था। वह स्वतंत्रता के बाद देश की पहली प्रधानमंत्री बनी जिसका कार्यकाल 5 साल तक चला। इस कार्यकाल के दौरान उन्होंने भारत सरकार के साथ गंगा नदी पर 30 साल के जल की संधी पर भी हस्ताक्षर किए थे।

साल 2001 में आम चुनावों में हसीना को सत्ता से बाहर होना पड़ा था। इसके बाद साल 2008 में वह फिर से फुल बहुमत के साथ एक बार सत्ता में लौट आई थी। उन्हें साल 2004 में ग्रेनेड विस्फोट करके मारने की कोशिश भी की थी, जिसमें वह बच गई। 2009 में सत्ता में लौटने के बाद उन्होंने 1971 के युद्ध अपराध मामले की सुनवाई के लिए एक ट्रिब्यूनल गठित किया गया था। ट्रिब्यूनल ने विपक्षी के कई बड़े नेताओं का नाम सामने आईं थी।

हसीना के नाम अवॉर्ड

शेख हसीना अपने राजनैतिक कार्यकाल में कई सारें अवॉर्ड अपने नाम दर्ज कर चुकी हैं। साल 1998 में उन्हें मदर टेरेसा बाय ऑल इंडिया पीस काउंसिल का अवॉर्ड हासिल कर चुका है। इसके बाद उन्हें एम. के. गांधी अवॉर्ड भी मिला चुका है। साल 2000 में हसीना को द पर्ल बद अवॉर्ड ने सम्मानित किया गया था। इसके बाद साल 2014 में उन्हें महिला सशक्तिकरण और बालिका शिक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए यूनेस्को शांति वृक्ष पुरस्कार से नवाजा गया था। साल 2009 में इंदिरा गांधी प्राइज दिया गया। इसके बाद 2015 में उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।

Created On :   5 Aug 2024 9:14 PM IST

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