ड्रैगन हरकत: दुनिया के सबसे बड़े तिब्बती बौद्ध अध्ययन केंद्र लारुंग गार बौद्ध अकादमी में चीन की निगरानी, करीब 400 सैनिकों को किया तैनात
- चीन नए साल से कई नियम लागू करने की फिराक में
- बौद्ध शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र है लारुंग गार
- तिब्बत में बीजिंग के अभियान में बढ़ोतरी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दुनिया के सबसे बड़े तिब्बती बौद्ध अध्ययन केंद्र लारुंग गार बौद्ध अकादमी में चीनी सैन्यकर्मियों में काफी बढ़ोतरी देखी जा रही है। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। बौद्ध अकादमी में चीनी सैन्यकर्मियों की बढ़ती तैनाती धार्मिक प्रथाओं पर गहन निगरानी और सख्त नियमों को दर्शाता है। चीन ने 400 सैन्य कर्मियों को तैनात किया है।
आपको बता दें चीन तिब्बत को अपना हिस्सा मानती है। 1959 में भारी विद्रोह के बाद तिब्बती गुरु दलाई लामा भारत आ गए। आज कई तिब्बती आजादी की मांग कर रहे है। लामा ने वहां निर्वासित सरकार की स्थापना की थी।
सीटीए ने बताया कि तिब्बती खाम क्षेत्र में मौजूद करजे चीनी गंजी सेरथर काउंटी में चीनी सैनिकों को लगाया है। जो अब सिचुआन प्रांत का इलाका है। ये धार्मिक स्थल की बढ़ी हुई निगरानी का संकेत है। खबरों से मिली जानकारी के मुताबिक चीनी अधिकारी 2025 में लारुंग गार में नए नियम लागू करने की प्लानिंग कर रहे है। चीन नए नियमों में वहां रहने के समय को सीमित कर सकता है, साथ ही सभी भिक्षुओं और भिक्षुणियों के लिए अनिवार्य पंजीकरण लागू कर सकता है। साथ ही उसका मकसद धार्मिक चिकित्सकों की संख्या में कमी करना।
रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि चीनी छात्रों को संस्थान छोड़ने को कहा जा रहा है। 1980 में स्थापित, लारुंग गार तिब्बती बौद्ध शिक्षा का एक अहम केंद्र है, जो हजारों भिक्षुओं और भिक्षुणियों को आकर्षित करता है। समय समय पर कई बार चीन ने इसे निशाना बना है। 2001, 2016 और 2017 में हजारों आवासीय संरचनाओं को चीन ने ध्वस्त कर दिया था। चिकित्सकों को जबरन बेदखल किया गया। सीटीए रिपोर्ट बताती है कि लारुंग गार की आबादी को आधा कर दिया था।
Created On :   28 Dec 2024 7:51 PM IST