चीन-तिब्बत विवाद: अमेरिका के निचले सदन से चीन-तिब्बत विवाद संबंधी विधेयक पारित
- अमेरिकी निचले सदन से विधेयक पारित
- कांग्रेस के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स से बिल पास
- चीन में नाराजगी देखने को मिल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी सदन में दोनों दलों के समर्थन से तिब्बत को लेकर एक बिल पास किया है, इस बिल के पास होने से चीन में नाराजगी देखने को मिल रही है। अमेरिका कांग्रेस के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स यानी कि निचले सदन ने चीन-तिब्बत विवाद संबंधी विधेयक पारित किया है। अमेरिकी सदन में पास विधेयक में चीन-तिब्बत विवाद को सुलझाने की अपील की गई है। इस विधेयक का अमेरिका के दोनों दलों ने किया समर्थन है।
ब्रिटेन ने चीन से जंग करके तिब्बत को प्रथक राष्ट्र बनाया। ब्रिटिश हुकुमत की भारत से विदाई के बाद दो साल तक यानी कि 1949 तक चीन ने तिब्बत पर किसी प्रकार का दावा नहीं किया था। साल 1950 में अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना ने तिब्बत पर अधिकार जमाना शुरु कर दिया था। 1951 में तिब्बत सरकार को तिब्बत को चीन के हिस्से के रूप में मान्यता देने के लिए मजबूर करते हुए एक समझौते पर हस्ताक्षर कराए गए और फिर चीन ने तिब्बत में अपनी सत्ता स्थापित कर ली। साल 1959 में तिब्बत के लोगों ने चीन के खिलाफ विद्रोह किया, लेकिन चीन ने विद्रोह दबा दिया। विद्रोह में तिब्बती लोग मारे गए और तिब्बत के सर्वोच्च धार्मिक नेता दलाई लामा समेत करीब 80 हजार से ज्यादा लोगों को भारत और अन्य देशों में निर्वासित होना पड़ा।
यह विधेयक चीन की वन चाइना पॉलिसी को सीधी चुनौती देता है। कांग्रेसमैन जिम मैक्गवर्न और माइकल मैक्कॉल ने चीन-तिब्बत विवाद विधेयक को पेश किया। विधेयक का एक मात्र उद्देश्य चीनी सरकार पर दबाव बनाना है कि वे दलाई लामा और तिब्बत के लोकतांत्रिक नेताओं से चर्चा करें।
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और तिब्बत के बीच समाधान को संवाद से हल करने पर जोर देता है। चीन तिब्बत को अपना हिस्सा बताता है। ड्रैगन की ओर से दावा किया जाता है कि तिब्बत 18वीं शताब्दी में चीन के आधिपत्य में आया और 19वीं शताब्दी तक चीन के अधीन रहा, जबकि तिब्बत और तिब्बत के नागरिक सदियों से अपने आपको स्ततंत्र राष्ट्र मानते चले आ रहे है।
आपको बता दें चीन तिब्बत को अपना हिस्सा बताते हुए उस पर दावा करता है। विधेयक में तिब्बती लोगों को मतदान अधिकार देने की बात कही गई है, वोट अधिकार मिलने से चीन और तिब्बत के बीच जारी विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से समाधान निकलेगा।
Created On :   16 Feb 2024 3:46 AM GMT