मजबूर सरकार झुकी: बांग्लादेश में छात्रों के प्रदर्शन के बाद शेख मुजीबुर्रहमान की राष्ट्रपति भवन से प्रतिमा हटाई गई
- बांग्लादेश में मुजीबुर्रहमान की तस्वीर हटाने पर बवाल
- प्रदर्शनकारियों के सामने दबाव में झुकी यूनुस सरकार
- अब साल 1971 बांग्लादेशी समाज में एक दरार बन चुका है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश में छात्रों के भारी हिंसक और बवाल के बाद बांग्लादेश के संस्थापक और शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर्रहमान की राष्ट्रपति भवन से प्रतिमा हटाई गई।इसी के चलते शेख हसीना को पीएम पद छोड़कर कई अन्य देश भागना पड़ा था। छात्रों में शेख हसीना के परिवार के प्रति गुस्सा इतनी अधिक है, कि छात्रों ने विरोध करके बांग्लादेश के संस्थापक और शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर्रहमान की राष्ट्रपति भवन से प्रतिमा हटाने पड़ा। प्रदर्शनकारियों में काफी गुस्सा है। और उन्होंने मुहम्मद यूनुस की कार्यवाहक सरकार को झुकने को मजबूर कर दिया। यूनुस सरकार ने मुजीब की जयंती और मौत की वर्षगांठ पर नेशनल हॉलिडे को बंद कर दिया है। साथ ही करेंसी नोटों पर से उनका चेहरा हटाने के लिए डिजाइन बदल दिया है।
यूनुस सरकार के स्पेशल असिस्टेंट महफूज आलम ने तस्वीर हटाने को शर्म की बात कहा है। उन्होंने आगे कहा कि वे 5 अगस्त के बाद बंगभवन से मुजीबुर्रहमान की प्रतिमा नहीं हटा पाए। उन्होंने सोशल मीडिया फेसबुक पर लिखा, "1971 के बाद मुजीबुर्रहमान की मूर्ति हटा दी गई है। हालांकि इस कृत्य पर उन्होंने माफी मांगी। और कहा जब तक लोगों की जुलाई की भावना जिंदा रहेगी, तब तक वे कहीं नहीं दिखेंगे।
एक सरकारी समाचार चैनल से मिली जानकारी के अनुसार हसनत अब्दुल्ला के नेतृत्व वाले विरोधी छात्र आंदोलन अंतरिम सरकार के खिलाफबांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इसके बाद अंतरिम सरकार ने राष्ट्रपति भवन से मुजीबुर्रहमान की प्रतिमा को हटाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
आपको बता दें शेख मुजीबुर्रहमान ने साल 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजादी दिलाने में अहम भूमिका अदा की। लेकिन अब छात्रों के जहन में 1971 एक विवादास्पद साल बन गया है। हसीना के भागने और सत्ता से बेदखल होने के बाद बांग्लादेश में पाकिस्तान, मोहम्मद अली जिन्ना और उर्दू की तरफ आकर्षित होने का चलन बढ़ रहा है।
Created On :   13 Nov 2024 10:42 AM IST