चौंकाने वाली रिपोर्ट : दुनिया में 40 सेकेंड में एक आत्महत्या
डिजिटल डेस्क,नागपुर। शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने की बहुत ही आवश्यकता है। शारीरिक स्वास्थ्य बिगड़ने पर वह प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देता है, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ने पर ऐसा नहीं होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के चौंकाने वाले आंकड़ों के अनुसार हर साल दुनियाभर में आत्महत्या के 8 लाख मामले सामने आते हैं, जिसके अनुसार प्रत्येक 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है। ध्यान देने वाली बात यह है कि इसमें 79 फीसदी आत्महत्याएं निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होती है। ऐसे में भारत के लिए यह सिर्फ चिंता का विषय ही नहीं, बल्कि इस दिशा में आगे महत्वपूर्ण कार्य करने की आवश्यकता है। विश्व मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह का आयोजन 4 अक्टूबर से किया जाता है। भारत में 6.5 फीसदी का गंभीर मानसिक विकार से प्रभावित हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन में नेशनल केयर ऑफ मेडिकल हेल्थ के लिए की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत की कुल आबादी के 6.5 फीसदी का गंभीर मानसिक विकार से पीड़ित है। विशेष बात यह है कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्र दोनों ही जगह प्रमाण बराबर है। इसलिए शहरी करण को दोष नहीं िदया जा सकता है। इसका एक कारण यह भी है कि अब गांव में रहने वाले लोग भी शहरी सुविधाएं जैसे एसी, फ्रीज, कूलर, वाहन आदि का परस्पर उपयोग कर रहे हैं।
युवा सबसे ज्यादा शिकार
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार 15 से 29 साल की आयु के युवाओं में आत्महत्या का प्रमाण बहुत अधिक है। ऐसे में उनको इस संकट से निकालने के िलए कड़े कदम उठाने होंगे। युवाओं में किसी बात को पर कहासुनी से लेकर सोशल मीडिया, तनाव, दवाब, आर्थिक समस्या, भेदभाव, अकेलापन, रिश्तों का टूटना जैसे कई कारण बनते हैं, जिसके बाद वह गलत कदम उठा लेते हैं। ऐसे में युवाओं को अपनी कुशलता का परिचय देना होगा और परिजनों व विशेषज्ञ चिकित्सक से मार्गदर्शन लेना चाहिए।
इन 20 लोगों को संभालना जरूरी
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में जहां भी एक आत्महत्या का मामला सामने आता है वहां के आस-पास के करीब 20 लोग आत्महत्या का प्रयास कर सकते हैं। ऐसे 20 लाेगों के नकारात्मक विचार को सकारात्मक रूप में बदलना है। इनको उचित समय पर नहीं संभाला गया, तो भयानक स्थिति बन सकती है।
मानसिक स्वास्थ्य भी जरूरी
अभी तक सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य की बात होती थी। शारीरिक स्वास्थ्य दिखाई देता है। मानसिक स्वास्थ्य बीमारी होने के कारण भी होता है। युवास्था में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में सहनशीलता, क्षमता कम होने पर नकारात्मक विचार आने लगते हैं। युवा ऐसे विचारों को खुद पर हावी न होने दें।
- डॉ. सागर छिद्दरवार, मानसिक रोग विशेषज्ञ
Created On :   4 Oct 2019 12:13 PM IST