सामाजिक रहने से लोगों में डिमेंशिया का खतरा होता है कम
- एक नए शोध में इसका खुलासा हुआ है
- उम्र के 50वें और 60वें दशक में ज्यादा सामाजिक होने से बाद में डिमेंशिया (मनोभ्रम
- विक्षिप्तता) होने का खतरा कम हो जाता है
डिजिटल डेस्क, लंदन। (आईएएनएस)। उम्र के 50वें और 60वें दशक में ज्यादा सामाजिक होने से बाद में डिमेंशिया (मनोभ्रम, विक्षिप्तता) होने का खतरा कम हो जाता है। एक शोध में इस बात का खुलासा हुआ है। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के वरिष्ठ शोधकर्ता गिल लिविंग्स्टन ने कहा, सामाजिक रूप से सक्रिय लोग याददाश्त और भाषा जैसे संज्ञानात्मक कौशलों में सक्रिय रहते हैं। हालांकि हो सकता है कि यह उनके मस्तिष्क में होने वाले बदलाव को ना रोक पाए, लेकिन संज्ञानात्मक रिजर्व लोगों को बढ़ती उम्र के प्रभावों से मुकाबला करने और डिमेंशिया के लक्षणों के सक्रिय होने को कुछ समय तक टालने में मदद कर सकता है।
जर्नल पीएलओएस मेडीसिन में प्रकाशित शोध में व्हाइटहाल-2 के अध्ययन के आंकड़े का उपयोग किया गया था, जिसमें 10,228 प्रतिभागियों पर नजर रखी गई थी। इन प्रतिभागियों को 1985 से 2013 के बीच छह मौकों पर उनके दोस्तों और रिश्तेदारों से उनकी सक्रियता के लिए कहा गया था।
शोध के लिए टीम ने 50, 60 और 70 की उम्र में सामाजिक संपर्क और डिमेंशिया की व्यापकता और क्या सामाजिक संपर्क का संज्ञानात्मक सक्रियता में गिरावट से कोई संबंध है, इसका अध्ययन किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि, 60 की उम्र पर सामाजिक रूप से ज्यादा सक्रियता से बाद में डिमेंशिया विकसित होने का खतरा उल्लेखनीय रूप से कम हुआ है।
Created On :   4 Aug 2019 11:00 AM IST