जानिए क्या है 'मस्कुलर डिस्ट्रॉफी' बीमारी जिसका खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने किया जिक्र? जानिए क्या है लाइलाज बीमारी से बचने का तरीका
डिजिटल डेस्क नई दिल्ली। प्रधानमंत्री ने रविवार को अपने रेडियो कार्यक्रम ""मन की बात" में एक बीमारी पर चर्चा की है। जिसका नाम है "मस्कुलर डिस्ट्रॉफी", ये एक आनुवांशिक बीमारी है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, चिकित्सा विज्ञान की दुनिया ने अनुसंधान और नवाचार के साथ-साथ अत्याधुनिक तकनीक और उपकरणों की मदद से बहुत प्रगति की है। लेकिन कुछ बीमारियां आज भी हमारे लिए बड़ी चुनौती बनी हुई हैं। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारियों का एक समूह है जिसमें लगभग 80 प्रकार की बीमारियां शामिल होती हैं। ये बीमारी किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। इस बीमारी में शरीर की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं। इस बीमारी का अभी कोई इलाज नहीं हैं। तो जानते हैं क्या है "मस्कुलर डिस्ट्रॉफी"? इसके कारण, लक्षण और इलाज के बारे में
"मस्कुलर डिस्ट्रॉफी" क्या है?
"मस्कुलर डिस्ट्रॉफी" मुख्य रूप से मांसपेशियों की कमजोरी है जो समय के साथ बढ़ती जाती है। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी में, असामान्य जीन या म्यूटेशन स्वस्थ मांसपेशियों के बनाने के लिए आवश्यक प्रोटीन को बनाने में रुकावट डालते हैं। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी कई प्रकार की होती है। सबसे आम किस्म के लक्षण बचपन में शुरू होते हैं, जिन्हें ज्यादातर लड़कों में देखा गया है। लेकिन इसके अन्य प्रकार एडल्ट होने तक नजर नहीं आते हैं। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का कोई इलाज नहीं है। लेकिन दवाएं रोग बढ़ने की गति को धीमा कर सकती हैं।
"मस्कुलर डिस्ट्रॉफी" के लक्षण
- सीढ़ियां चढ़ने में मुश्किल होना
- पैर की पिंडलियां मोटी हो जाना
- पैरों की मांसपेशियों का फूल जाना
- तेज चलने पर गिर जान
- थोड़ा चलने या दौड़ने पर थक जाना
- उठने में घुटने या हाथ का सहारा लेना पड़ता है
ऐसे करती है शरीर पर असर
- मांसपेशियों का रोग होने की वजह से सबसे पहले कूल्हे के आसपास की मांसपेशियों और पैर की पिंडलियों को कमजोर करता है
- उम्र बढ़ते ही यह कमर और बाजू की मांसपेशियों को भी प्रभावित करना शुरू कर देता है
- इसके बाद यह फेफड़े को और हृदय की मांसपेशियों पर प्रभाव डालता है
- सांस फूलना शुरु हो जाती है
- जिससे हृदय और फेफड़े का फेल हो जाने का खतरा बना रहता है
क्यों होती है ये बीमारी
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी की समस्या के लिए कुछ जीन को प्रमुख कारण माना जाता है, जीन हमारी मसल्स के फाइबर्स को मजबूती देते हैं। इनमें से किसी जीन में होने वाले दोष के कारण मस्कुलर डिस्ट्रॉफी की समस्या हो सकती है। एक जीन में परिवर्तन से डायस्ट्रोफिन नाम के एक महत्वपूर्ण प्रोटीन की कमी हो सकती है। शरीर पर्याप्त डायस्ट्रोफिन नहीं बना सकता है, इसे सही तरीके से नहीं बना सकता है, या इसे बिल्कुल भी नहीं बना सकता है। लोगों को इन चार तरीकों में से एक में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी होती है। वहीं जिन लोगों के परिवार में किसी को पहले से ही यह समस्या रही है उनमें समय के साथ इसके विकसित होने का खतरा हो सकता है।
इसे कैसे ठीक किया जा सकता है?
मरीजों में इसके लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर मरीज का जेनेटिक टेस्ट, एंजाइम टेस्ट और मसल बायोप्सी की मदद से इसका इलाज करते हैं। सहायक उपचार के माध्यमों से रोग के लक्षण और इसकी गंभीरता को कम करने में मदद मिल सकती है। कुछ रोगियों को फेफड़े और हृदय विशेषज्ञों से इलाज की आवश्यकता हो सकती है। दवाइयों और थेरपी के माध्यम से स्थिति को नियंत्रित करके इसके गंभीर जोखिमों से बचाव किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए अभी तक कोई कारगर इलाज नहीं मिल पाया है।
Created On :   28 Nov 2022 2:16 PM IST