ग्राहक के पालतू कुत्ते ने डिलीवरी ब्वॉय को नोच-नोच कर मार डाला, 5 लाख रुपये में मामला सुलझा
डिजिटल डेस्क, हैदराबाद। जब मोहम्मद रिजवान नाम के एक डिलीवरी ब्वॉय ने एक अपार्टमेंट के दरवाजे की घंटी बजाई, तो वह एक और फूड डिलीवरी सफलतापूर्वक पूरा करने की उम्मीद कर रहा था, लेकिन वह आने वाले खतरे से अनजान था। घंटी बजते ही मकान मालिक का एक खूंखार पालतू कुत्ता उस पर झपट पड़ा। इस बात से घबराया डिलीवरी बॉय भागा और जब जर्मन शेफर्ड उसका पीछा करता रहा तो उसने खुद को बचाने के लिए तीसरी मंजिल से छलांग लगा दी।
23 वर्षीय को गंभीर चोटें आईं और तीन दिन बाद अस्पताल में उसकी मौत हो गई। हैदराबाद में अपस्केल बंजारा हिल्स के एक अपार्टमेंट में 11 जनवरी को हुई भयानक घटना, डिलीवरी बॉयज के सामने आने वाले जोखिमों को उजागर करती है। युवक की दर्दनाक मौत ने उसके परिवार को संकट में डाल दिया है। खाद्य वितरण ऐप से कोई वित्तीय सहायता नहीं मिलने के कारण, रिजवान का परिवार अनिश्चित भविष्य की ओर देख रहा है।
रिजवान परिवार का एकमात्र कमाने वाला था जो यूसुफगुडा इलाके के श्रीरामनगर में किराए के मकान में रहता था। बी.कॉम प्रथम वर्ष के बाद, असने अपने बीमार पिता की देखभाल करने और परिवार के वित्तीय तनाव को कम करने के लिए शिक्षा छोड़ दी थी। दोपहर से रात तक काम करके वह दिन में करीब 500 से 700 रुपये कमा लेता था।
पुलिस ने कुत्ते के मालिक एन. शोभना के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304-ए (लापरवाही से मौत का कारण), 289 (जानवरों के संबंध में लापरवाहीपूर्ण आचरण) और 336 (दूसरों की जान या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालना) के तहत मामला दर्ज किया है।
जिस दिन रिजवान अपने बड़े भाई मोहम्मद खाजा के लिए काम कर रहा था, उस दिन परिवार को डर था कि कहीं उसे फूड डिलीवरी एग्रीगेटर से कोई मुआवजा न मिल जाए। परिवार ने कुत्ते के मालिक के साथ 5 लाख रुपये में आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट का विकल्प चुना। समझौते के तहत रिजवान के परिवार ने पालतू जानवर के मालिक के खिलाफ पुलिस केस वापस ले लिया।
पांच साल पहले अपनी मां को खो चुका रिजवान अपने पिता की देखभाल कर रहा था, जिसने अस्वस्थता के कारण समारोहों में वेटर के रूप में काम करना बंद कर दिया था। नौजवान ने अपनी शिक्षा को बीच में ही छोड़ दिया और लगभग तीन साल पहले स्विगी के साथ-साथ जोमैटो के लिए खाना डिलीवर करना शुरू कर दिया था।
चार भाइयों में सबसे छोटा रिजवान रोजाना 8-10 घंटे काम करके गुजारा करता था। खाजा के मुताबिक, रिजवान की स्विगी वाली आईडी किन्हीं कारणों से ब्लॉक हो गई थी और वह कभी-कभी उसके लिए डिलीवरी पर चला जाता था।
रिजवान का परिवार और दोस्त उसे एक खुशमिजाज लड़के के रूप में याद करते हैं। खाजा ने कहा, वह क्रिकेट के प्रति जुनूनी था और उसने क्षेत्र में विभिन्न टूर्नामेंटों में कई पदक जीते थे। चूंकि रिजवान स्विगी के साथ रजिस्टर्ड डिलीवरी पार्टनर नहीं था, इसलिए उसके परिवार को कोई सहायता मिलने की संभावना नहीं थी। अगर वह एक रजिस्टर्ड डिलीवरी पार्टनर होता, तो फूड एग्रीगेटर उसके परिवार को 10 लाख रुपये का भुगतान करती।
तेलंगाना गिग एंड प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन (टीजीपीडब्ल्यूयू) के संस्थापक-अध्यक्ष शैक सलाउद्दीन ने कहा कि कर्मचारी मुआवजा अधिनियम के अनुसार कंपनी द्वारा परिवार को लगभग 22 लाख रुपये का भुगतान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कंपनी को मुआवजे का भुगतान करना चाहिए क्योंकि रिजवान अपने ऑर्डर दे रहा था। सलाउद्दीन लंबे समय से डिलीवरी एक्जीक्यूटिव के अधिकारों के लिए आवाज उठाता रहा है। वह बेहतर वेतन और कामकाजी परिस्थितियों में सुधार की मांग कर रहे हैं।
सलाउद्दीन ने बताया कि समय सीमा को पूरा करने के लिए डिलीवरी बॉय अपनी बाइक को तेजी से चलाने का सहारा ले रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप दुर्घटनाएं हो रही हैं। डिलीवरी ब्वॉयज को ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने पर ट्रैफिक पुलिस का चालान भी भुगतना पड़ रहा है।
आईएएनएस
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Created On :   18 March 2023 5:30 PM IST