आसानी से राहत देने के मूड में नहीं कोरोना, नए शोध में दावा लॉन्ग कोरोना के शिकार हो रहे लोग, आठ लक्षणों से जानें क्या है आपकी स्थिति
- कई देश कर रहे हैं चौथी लहर का सामना
डिजिटल डेस्क, भोपाल। दुनियाभर में बीते दो वर्षों से कोरोना वायरस ने कहर मचा रखा है। इसके डेल्टा और ओमिक्रॉन वैरिएंट ने लोगों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया है। दुनिया के बहुत से देशों में इस महामारी की चौथी लहर चल रही है। लाखों लोग प्रतिदिन इसका शिकार बन रहे हैं। वहीं बात करें भारत की तो, यहां भले ही इसका प्रकोप अब थोड़ा कम हुआ है, लेकिन अभी भी रोजाना करीब 2 हजार नए केस सामने आ रहे हैं।
वैसे तो कोरोना को लेकर दुनिया भर में कई शोध और अध्ययन हुए हैं, लेकिन इस पर हाल ही में हुआ अध्ययन डराने वाला है। इस शोध के अनुसार, कोरोना के कुछ लक्षण ऐसे होते हैं जो शरीर में 15 महीने तक बने रहते हैं। बता दें कि कोरोना के वे लक्षण जो ज्यादा समय तक शरीर में रहते हैं उन्हें लॉन्ग कोविड सिमटम्स कहा जाता है।
एनल्स ऑफ क्लिनिकल एंड ट्रांसलेशनल न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित नार्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का यह अध्ययन बताता है कि लॉन्ग कोविड के सबसे लंबे लक्षणों में न्यूरोलॉजिकल लक्षण कॉमन हैं।
15 महीनों तक रहेंगे ये 8 लक्षण
शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि कोरोना के मरीज में स्वस्थ होने के बाद भी कोरोना के कई लक्षण बने रहे सकते हैं। इनमें प्रमुख लक्षण हैं, ब्रेन फोग, सुन्नता, सिरदर्द, चक्कर आना, धुंधला नजर आना, कानों का बजना, थकान होना और हाथ पैर में झुनझुनी आना।
शोधकर्ताओं के अनुसार, अधिकतर न्यूरोलॉजिकल लक्षण कोरोना से ठीक हुए व्यक्ति में 15 महीनों तक बने रहते हैं। अध्ययन में शामिल कोरोना से ठीक हुए लोगों के शरीर कोरोना लक्षण से पूरी तरह से दूर नहीं हुए थे। साथ ही यह उनके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे थे।
गंभीर रोगों के साथ बढ़े लक्षण
अध्ययन के अनुसार हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर और जठरांत्र जैसी गंभीर बीमारियों समेत कोरोना के कुछ लक्षण समय के साथ बढ़ते गए। वहीं इसके स्वाद व गंध की कमी जैसे लक्षणों में सुधार पाया गया। शोध में यह भी सामने आया कि कोरोना वैक्सीन ने इन लॉन्ग कोविड लक्षणों को कम तो नहीं किया, लेकिन कोरोना वायरस के प्रभाव को बढ़ने से रोका।
इसलिए बने रहते हैं ज्यादा समय तक लक्षण
बात करें लक्षणों के शरीर में इतने दिनों तक रहने के कारण की तो, ऐसा माना जाता है कि कोई भी वायरल संक्रमण शरीर के अन्य भागों के साथ दिमाग पर भी अटैक करता है। सूजन हमलावर वायरस पर हमला करने के लिए होती है, लेकिन यह मस्तिष्क की कोशिकाओं और नयूरॉन्स को भी नुकसान पहुंचाती है।
Created On :   26 May 2022 1:53 PM IST