कोरोना के इलाज में आयुर्वेदिक दवा कारगर : एआईआईए

Ayurvedic medicine effective in the treatment of corona: AIIA
कोरोना के इलाज में आयुर्वेदिक दवा कारगर : एआईआईए
कोरोना के इलाज में आयुर्वेदिक दवा कारगर : एआईआईए
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नई दिल्ली, 1 नवंबर (आईएएनएस)। कोरोनावायरस का इलाज आयुर्वेद पद्दति से सम्भव है। 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) का उद्घाटन किया था और अब इसी संस्थान ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना का इलाज आयुर्वेदिक दवाओं से किया जा सकता है।

सरिता विहार स्थित आयुर्वेद संस्थान के जर्नल ऑफ आयुर्वेद केस रिपोर्ट में प्रकाशित एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि कोरोना वायरस के इलाज में आयुर्वेदिक दवाएं कारगर सिद्ध हो रही हैं।

रिपोर्ट में बताया गया कि आयुर्वेदिक एंटीबॉयोटिक फीफाट्रोल ने छह दिन में कोरोना वायरस को निगेटिव कर दिया। फीफाट्रोल के साथ-साथ मरीज को आयुष क्वाथ, शेषमणि वटी और लक्ष्मीविलासा रस का भी सेवन कराया गया।

रिपोर्ट के अनुसार एक 30 वर्षीय स्वास्थ्यकर्मी को एक महीने पहले टाइफाइड हुआ था। इसके बाद वह कोरोना वायरस की चपेट में आ गया था। एंटीजन जांच में संक्रमण की पुष्टि होने के महज दो दिन में ही मरीज को बुखार, सिर दर्द, बदन दर्द, आंखों में दर्द, स्वाद न आना और सुंगध खोने के लक्षण मिले थे। इसके चलते मरीज को भर्ती कराया गया था।

अध्ययन पत्र में रोग निदान एवं विकृति विज्ञान के डॉ. शिशिर कुमार मंडल ने कहा कि यह चिकित्सीय अध्ययन कोविड उपचार में आयुर्वेद चिकित्सा का सबूत है। उक्त मरीज को पूरी तरह से आयुर्वेद का उपचार दिया गया था। महज छह दिन में ही न सिर्फ मरीज स्वस्थ्य हो गया बल्कि उसे माइल्ड से मोडरेट स्थिति में जाने से भी रोका गया। उनका कहना है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों पर इस उपचार का अध्ययन किया जाना चाहिए।

उन्होंने यह भी बताया कि पहले दिन से ही मरीज को 500-500 एमजी फीफाट्रोल की दो डोज रोजाना दी गईं। साथ ही आयुष क्वाथ, च्वयनप्राश, शेषमणि वटी और लक्ष्मीविलासा रस का सेवन कराया गया। भर्ती होने के ठीक छह दिन बाद मरीज की कोरोना निगेटिव रिपोर्ट मिलने के बाद उसे डिस्चॉर्ज किया गया।

एमिल फॉर्मास्युटिकल की फीफाट्रोल दवा पर भोपाल एम्स के डॉक्टर भी अध्ययन कर चुके हैं जिसके बाद उन्होंने इस दवा को आयुर्वेद एंटीबॉयोटिक का उपनाम दिया था।

दरअसल फीफाट्रोल दवा में सुदर्शन घन वटी, संजीवनी वटी, गोदांती भस्म, त्रिभुवन कीर्ति रस व मत्युंजय रस का मिश्रण है। वहीं तुलसी, कुटकी, चिरायता, गुडुची, करंज, दारुहरिद्रा, अपामार्ग व मोथा भी हैं। ठीक इसी प्रकार आयुष क्वाथ में दालचीनी, तुलसी, काली मिर्च और सुंथी है।

जेएनएस

Created On :   1 Nov 2020 4:31 PM IST

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