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राजीव गांधी ने 1983 में किया था डिजिटल कैमरे का इस्तेमाल, जानें क्या सच
डिजिडल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान Email और डिजिटल कैमरा को लेकर कुछ बातें ऐसी कह गए, जिस पर लोगों को बहस का मुद्दा मिल गया। मोदी ने इंटरव्यू में यह कहा था कि, उन्होंने 1988 में डिजिटल कैमरे से फोटो खींची थी और उसे ईमेल भी किया था जो अगले दिन अखबार में भी छपी थी। जबकि, भारत में डिजिटल कैमरा 1990 और ईमेल 1995 में आया। इसे लेकर कई लोगों ने सोशल मीडिया पर मोदी को घेरना चालू कर दिया। वहीं इसके बचाव में कूदे कई मोदी सर्मथकों ने राजीव गांधी की कैमरे के साथ सोशल मीडिया पर एक फोटो शेयर की है। जिसमें वह मोदी का बचाव करते हुए यह कहना चाह रहे हैं कि, राजीव गांधी ने मोदी से पहले डिजिटल कैमरे का इस्तमाल किया था।
क्या है वायरल तस्वीर का सच -
राजीव गांधी की शेयर की जा तस्वीर में जो कैमरा दिखाई दे रहा है असल में वो डिजिटल कैमरा नहीं है। जो कैमरा इस फोटो में उनके हाथ में दिखाई दे रहा है वह एक VHS कैमरा है, जिसे केमकॉर्डर भी कहते हैं। साल 1983 में ही सोनी कंपनी ने पहली बार बाज़ार में कंज़्यूमर कैमकॉर्डर लॉन्च किया था। इसी साल JVC नाम की कंपनी ने दुनिया का पहला VH-S कैमकॉर्डर भी लॉन्च किया था।
राजीव गांधी की यह तस्वीर साल 1983 की है, इसलिए बहुत हद तक ये वही JVC कैमरा है जो 1983 में ही लॉन्च किया गया था। अगर आप उनकी इस फोटो को ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि कैमरे पर JVC भी लिखा हुआ है। उनकी यह तस्वीर उस समय की है जब वह साल 1983 में हिंडन एयरफ़ोर्स स्टेशन पर भारतीय वायु सेना का शो अपने VH-S कैमकॉर्डर में कैद कर रहे थे।
डिजिटल कैमरा और केमकॉर्डर में अंतर -
डिजिटल कैमरा में ऑडियो और वीडियो डेटा अंकों के रूप में रिकॉर्ड होता है। ऑडियो के मामले में स्टोर हुआ अंक उस पर्टिकुलर मौके पर माइक द्वारा रिसीव किए हवा के दबाव को रिकॉर्ड करता है। वीडियो के मामले में ब्राइटनेस को अंकों में बदला जाता है और ये काम सेंसर करता है। जबकि केमकॉर्डर में कैसेट लगाकर रिकॉर्ड किया जाता था। ये डिजिटल रिकॉर्डिंग का हिस्सा नहीं था। इस हिसाब से मोदी सर्मथकों का ये दावा कि, राजीव गांधी ने 1983 में डिजिटल कैमरा इस्तेमाल किया था यह गलत है।
Created On :   15 May 2019 8:48 AM GMT