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Fake News: फ्रांस के मौजूदा तनाव से जोड़कर वायरल किया जा रहा 2012 का वीडियो
डिजिटल डेस्क। सोशल मीडिया पर फ्रांस विवाद से जोड़कर एक वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमें भीड़ एक इमारत में तोड़फोड़ करती और आग लगाती नजर आ रही है। वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि, सूडान के ग़ैरतमंद मुसलमानों ने फ्रांस की अंबेसी का घेराव करके आग लग दी है।
बता दें कि, फ्रांस में एक शिक्षक का सिर कलम किए जाने और वहां के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के इस घटना को ‘इस्लामिक आतंकवाद’ बताने वाले बयान के बाद कई देशों में फ्रांस का विरोध हो रहा है। इस बीच आतंकी हमले की आशंका जताते हुए वहां सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है।
किसने किया शेयर?
कई ट्विटर और फेसबुक यूजर ने भी वीडियो शेयर किया है। कई यूजर ने वीडियो के साथ कैप्शन लिखा है, बताया जा रहा है कि सूडान के ग़ैरतमंद मुसलमानों ने फ्रांस की अंबेसी का घेराव करके आग लग दी है। जो कि बहुत उम्दा काम किया है। बतला दो गुस्ताख ए नबी को गैरत ए मुस्लिम जिंदा है।
क्या है सच?
भास्कर हिंदी की टीम ने पड़ताल में पाया कि, सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के साथ किया जा रहा दावा गलत है। दरअसल वीडियो 2012 का है जब एक अमेरिकी फिल्म ट्रेलर के कथित ‘इस्लाम विरोधी’ होने से खफा होकर सूडान में प्रदर्शनकारियों ने जर्मन दूतावास की इमारत में तोड़फोड़ और आगजनी की थी।
हमने पाया कि साल 2012 में एक अमेरिकी फिल्म के ट्रेलर के विरोध में ट्यूनीशिया, यमन और सूडान जैसे देशों में यूएस, यूके और जर्मनी के दूतावासों पर हमले किए गए थे। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि फिल्म ट्रेलर में पैगम्बर मुहम्मद का अपमान किया गया है। वायरल वीडियो इन्हीं प्रदर्शनों से जुड़ा हुआ है। इसमें प्रदर्शनकारी सूडान स्थित जर्मन दूतावास में तोड़फोड़ करते और आग लगाते दिख रहे हैं।
निष्कर्ष: सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो का फ्रांस की हालिया घटना से कोई लेना-देना नहीं है। यह साल 2012 की एक घटना से जुड़ा वीडियो है जिसमें प्रदर्शनकारियों ने एक अमेरिकी फिल्म ट्रेलर के विरोध में सूडान स्थित जर्मन दूतावास में आग लगा दी थी.
Created On :   29 Oct 2020 11:40 AM IST