रूस पर आधारित हाउ टू सेव ए डेड फ्रेंड डॉक्यूमेंट्री का ट्रेलर रिलीज

Trailer release of How to Save a Dead Friend documentary based on Russia
रूस पर आधारित हाउ टू सेव ए डेड फ्रेंड डॉक्यूमेंट्री का ट्रेलर रिलीज
लाइटडॉक्स रूस पर आधारित हाउ टू सेव ए डेड फ्रेंड डॉक्यूमेंट्री का ट्रेलर रिलीज
हाईलाइट
  • रूस पर आधारित हाउ टू सेव ए डेड फ्रेंड डॉक्यूमेंट्री का ट्रेलर रिलीज

डिजिटल डेस्क, लॉस एंजिल्स। स्विटजरलैंड की बिक्री और वितरण एजेंसी लाइटडॉक्स ने रूसी फिल्म निर्माता मारुस्या सिरोचकोवस्काया की पहली डॉक्यूमेंट्री हाउ टू सेव ए डेड फ्रेंड के लिए विश्व अधिकार हासिल कर लिया है।

अगले हफ्ते स्विस डॉक्यूमेंट्री फिल्म फेस्ट विजन डू रील में फिल्म के वल्र्ड प्रीमियर से पहले वैराइटी ने फिल्म के ट्रेलर को देखा।

एक दशक से भी अधिक समय में फिल्माई गई फिल्म, मारुस्या और किमी के बीच प्रेम कहानी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बढ़ती निरंकुशता की पृष्ठभूमि के खिलाफ नशीली दवाओं की लत का वर्णन करती है।

बता दें कि फिल्म निर्माता को 10 साल की उम्र में अपना पहला वीडियो कैमरा मिला था, और तब से वह अपने आसपास की दुनिया में हो रही चीजों का फिल्मांकन कर रही हैं।

निर्माता युद्ध के बाद से अपने साथी के साथ इजरायल में है, जहां से उन्होंने वैराइटी को बताया कि मेरे लिए, मेरे आस पास जो कुछ घटित हो रहा है, उसे समझने के लिए और दुनिया का पता लगाने के लिए ये मेरा उपकरण है।

उन्होंने कहा कि मैं कई सालों से सरकार से विरोध कर रहीं हूं। मैं सरकार विरोधी रैलियों में गई थी, और हाल ही में, युद्ध विरोधी प्रदर्शनों में भी गई थी। वहां मेरे भाई को गिरफ्तार कर लिया गया, मेरा प्रेमी भी विरोध करने के कारण जेल में था। अधिकारियों को पता था कि हम कहां थे।

अपनी पहली फिल्म के साथ उनका इरादा रूस की खामोश पीढ़ी के नाम पर एक संदेश साझा करना है।

पुतिन अलगाव के माध्यम से जनसंख्या पर नियंत्रण पाने की कोशिश कर रहे हैं, वह उन्हें बाकी दुनिया से अलग कर रहे हैं, जिससे देश को नियंत्रित करना आसान हो जाए।

अन्य बातों के अलावा, वह स्वतंत्र मीडिया से भी छुटकारा पाना चाहते है, लेकिन मैं फिल्म में जो प्रतिबिंबित करना चाहती हूं, वह यह है कि यह अलगाव और उदासीनता नई पीढ़ियों को कैसे प्रभावित करती है। अगर यह इस तरह की अलगाव नीति के लिए नहीं होता तो शायद किमी को डिप्रेशन और उसकी लत के लिए मदद मिल जाती।

वैराइटी के अनुसार, वह और किमी 2005 में एक पार्टी में मिले थे, जब मारुस्या 16 साल की थीं। वे साथ में अपनी पीढ़ी के उत्साह, चिंता और निराशा को फिल्मा रहे थे।

किमी की नशीली दवाओं की लत काफी बढ़ी हुई थी, जिस कारण नवंबर 2016 में उनका निधन हो जाता है। मारुस्या का कैमरा उसकी आखिरी पलों की यादों को संजो लेता है।

वह कहती है कि वह मुझे उसकी मदद नहीं करने देता था।

वह बताती है कि मैं उसके लिए वहां रह सकती थी। लेकिन किसी अपने को तबाह होते हुए देखना बहुत दर्दनाक था। इसलिए मैंने सब रिकॉर्ड कर लिया था। जब चीजों को छोटे पर्दे पर देखा जाता है, तो वे किसी ना किसी कारण से कम वास्तविक लगती हैं।

वह बताती है कि कैसे उन्होंने किमी के आखिरी पलों का फुटेज कई सालों बाद देखा। उन्होंने उस वक्त जो महसूस किया उसी को मैं इस कहानी के जरिए बताना चाहती हूं।

अपनी प्रोडक्शन टीम की मदद से वह निर्देशक और संपादक कुतैबा बरहमजी के संपर्क में आईं, जिन्होंने 2018 में स्टिल रिकॉडिर्ंग के लिए सर्वश्रेष्ठ तकनीकी योगदान के लिए वेनिस में एक पुरस्कार जीता था।

मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि उन्हें ये कहानी पसंद आई। वह रूसी में धाराप्रवाह है।

फिल्म और डिजिटल दोनों पर शूट किए गए कई स्टिल्स के साथ-साथ काम करने के लिए 150 घंटे के फुटेज हैं, जिन्हे कपल काफी टाइम से रिकॉर्ड कर रहे थे।

डॉक्यूमेंट्री की एडिटिंग कोरोना महामारी की शुरुआत में शुरु हुई, जब मॉस्को में मारुस्या थी और पेरिस में बरहमजी। इसमें छह महीने लगे।

आईएएनएस

Created On :   8 April 2022 12:00 PM IST

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