नहीं रही स्वर कोकिला लता मंगेशकर, जब भी गाना गया किया दिलों पर राज
डिजिटल डेस्क, मुंबई। मेरी आवाज ही मेरी पहचान है, वाकई लता मंगेशकर ही आवाज ही उनकी पहचान है। स्वर कोकिला लता मंगेशकर की आवाज के ही करोड़ों दीवाने हैं। हजारों खूबसूरत गीतों को मधुर सुर देने वाली कोयल सी आवाज की मल्लिका लता मंगेशकर ने मुंबई के ब्रीच केंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह 93 साल की थी।
अपनी जादुई आवाज का जादू लता ने करीब 7 दशकों तक हिंदी सिनेमा में चलाया। अपनी जादुई आवाज से लोगों के दिलों में घर कर जाने वाली गायिका ने 30 हजार से ज्यादा गाने गाये हैं। लता मंगेशकर के पिता पंडित दीनदयाल मंगेशकर रंगमंच के जानेमाने कलाकार थे इसी कारण लता मंगेशकर को संगीत की कला विरासत में मिली।
लता ने अपनी आवाज और अपनी सुर साधना से बहुत छोटी उम्र में ही गायन में महारत हासिल की और करीब 35 भाषाओं में गीत गाए। पिछली पीढ़ी ने जहां लता की रुमानी आवाज का लुत्फ उठाया, तो वहीं आज की पीढ़ी उनकी सधी हुई गायकी को सुनते हुए बड़ी हुई है। 35 से ज्यादा भाषाओं में गाना गाने वाली लता ने अपने करियर की शुरुआत 1942 में "माता एक सपूत की दुनिया बदल दे तू" गाने के साथ की थी। 1948 में आई फिल्म "मजबूर" में गाया गाना "दिल मेरा तोड़ा, मुझे कहीं का न छोड़ा" उनके लिए बड़ा ब्रेक रहा।
Created On :   6 Feb 2022 4:57 AM GMT