महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024: किसानों के आत्महत्या का मुद्दा कितना अहम, विदर्भ कैसे पलट सकता है गेम, समझें सियासी समीकरण
- महाराष्ट्र सियासत में किसान का मुद्दा अहम
- राज्य में 20 नवंबर को विधानसभा चुनाव
- 23 नवंबर को आएंगे चुनावी नतीजे
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र चुनाव में किसानों की खुदकुशी मामला छाया हुआ है। राज्य में इस साल जनवरी से जुलाई के बीच 1267 किसानों ने खुदकुशी की है। जिसमें अकेले विदर्भ के अमरावती से 557 किसानों ने आत्महत्या की है। विदर्भ क्षेत्र में लगातार बेमौसम बारिश देखने को मिल रही है। इसके लिए फसलों की उचित कीमत को लेकर किसान नराज होकर खुदकुशी करना बेहतर फैसला मान रहे हैं।
विदर्भ क्षेत्र कपास और सोयाबीन की खेती के लिए जाना जाता है। लेकिन पिछले कुछ सालों में यहां बेमौसम बारिश ने किसानों की हालत खराब कर दी है। इसके अलावा फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं मिल पाना भी किसानों की खुदकुशी की एक बड़ी वजह है। इसके अलावा हर साल आत्महत्या की मामला विदर्भ रीजन में बढ़ता ही जा रहा है। किसानों की अपील है कि एमएसपी के दर पर फसलों की खरीदी हो।
किसान का मुद्दा कितना अहम
पीटीआई रिपोर्ट के मुताबिक, किसान चेहरा कलावती बंदुरकर ने कहा, " किसानों को फसल की सही कीमत नहीं मिल रही है। किसान कर्ज के जाल में फंसे हैं। किसानों का कहना है कि कपास की कीमतें 10 साल से जस की तस बनी हुई है। फसलों की कीमत में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया गया है।"
विदर्भ क्षेत्र के किसान लगातार बैंकों और साहूकारों के कर्ज के तले डूबते जा रहे हैं। किसानों कहना है कि कपास की कीमत कम से कम 10 हजार रुपए क्विंटल होना चाहिए। इस वक्त इसकी कीमत केवल सात हजार रुपये ही है। सोयाबीन की दर भी 4000 रुपये के करीब है। फसलों की सरकारी कीमत भले ना बढ़ पाई हो लेकिन कृषि में लगने वाले उत्पादों की कीमत काफी बढ़ गई है।
विपक्ष की नजर किसानों वाले क्षेत्र पर
रिपोर्ट के मुताबिक, विदर्भ, मराठवाड़ा और उत्तर महाराष्ट्र में किसानों की संख्या 40 लाख है। ऐसे में यहां कांग्रेस पार्टी किसानों का मुद्दा उठा रही है। महाराष्ट्र कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए एमएसपी के मुद्दे पर जोर दिया था। साथ ही, वे किसानों के कर्ज माफी पर भी जोर दे रहे हैं। इसके अलावा खुदकुशी करने वाले किसानों के बच्चों को उचित अवसर देने की अपील कर रहे हैं।
विदर्भ क्षेत्र की 35 विधानसभा सीटें पर किसानों का दबदबा माना जाता है। ऐसे में विपक्ष यहां बेहतरीन प्रदर्शन करने की उम्मीद से किसानों का मुद्दा उठा रही है। महाराष्ट्र में जिन क्षेत्र पर सियासत घूमती है। उनमें विदर्भ की 62, मराठवाड़ा की 46, पश्चिमी महाराष्ट्र की 70, ठाणे-कोंकण की 39, मुंबई की 36 और उत्तर महाराष्ट्र की 35 सीटें शामिल हैं। राज्य में कोई भी पार्टी पूर्ण रूप से प्रभावी नहीं है। शायद यही वजह है कि यहां 40 सालों से कोई भी पार्टी अकेले अपने दम पर सरकार नहीं बना पाई है।
Created On :   6 Nov 2024 6:10 PM IST