यूएस पेटेंट हासिल कर चुके डीयू के प्रोफेसर रावत को वासविक रिसर्च अवार्ड
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- यूएस पेटेंट हासिल कर चुके डीयू के प्रोफेसर रावत को वासविक रिसर्च अवार्ड
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डीएस रावत को भारत के प्रतिष्ठित वासविक रिसर्च अवार्ड के लिए चुना गया है। प्रोफेसर ने पार्किन्सन रोग के इलाज से जुड़ी बड़ी रिसर्च की है करने की क्षमता है। रिसर्च को यूएस पेटेंट हासिल हो चका है। अमेरिका स्थित एक फार्मा कंपनी ने इस पर काम भी शुरू कर दिया है।
वासविक - बहुउद्देश्यीय औद्योगिक अनुसंधान को बढ़ावा देने वाला केंद्र 1974 में स्थापित किया गया था। इस केंद्र का उद्देश्य ऐसे उत्कृष्ट वैज्ञानिकों का सम्मान करना है जिनके काम से आर्थिक समृद्धि और सतत विकास प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।
प्रोफेसर रावत दिल्ली विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं और उन्होंने एक ऐसा यौगिक विकसित किया है जिसमें पार्किन्सन रोग का इलाज करने की क्षमता है जिसके लिए उन्हें यूएस पेटेंट मिला है। हाल ही में प्रोफेसर रावत की इस रिसर्च प्रौद्योगिकी को अमेरिका स्थित फार्मा उद्योग, नूरऑन फार्मास्युटिकल को हस्तांतरित किया गया है।
पुरस्कार में 1,51,000 रुपये और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। हाल ही में प्रोफेसर रावत को नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज का फेलो चुना गया था। यह सम्मान पाने वाले वे अपने विभाग के तीसरे प्रोफेसर बने। हाल ही में उन्हें वरिष्ठ प्रोफेसर के रूप में पदोन्नत किया गया है। विज्ञान में उनके उत्कृष्ट योगदान के अलावा वे दिल्ली विश्वविद्यालय में डीन परीक्षा के रूप में कार्यरत रहे हैं और उन्होंने विश्वविद्यालय की परीक्षा प्रणाली को सुव्यवस्थित किया है।
उन्होंने 28 दिनों में सभी स्नातक परिणामों की घोषणा करके एक इतिहास रचा, और 1.73 से अधिक डिजिटल डिग्री जारी की। उनके नेतृत्व में दिल्ली विश्वविद्यालय ने एक वर्ष में 802 पीएचडी डिग्री प्रदान की, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में इस वर्ष यह 1,73,541 डिजिटल डिग्रियां प्रदान की गई। इसके अलावा विश्वविद्यालय द्वारा 1,73,541 डिग्रियों को छपाई के लिए भी भेज दिया गया है। यह पहला अवसर है जब किसी केंद्रीय विश्वविद्यालय में एक साथ इतनी बड़ी संख्या में डिजिटल डिग्रियां दी गई हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय ने बताया कि डिजिटल डिग्री प्रदान करने के साथ ही छात्रों को 2 महीने के भीतर ही डिग्री की हार्ड कॉपी भी उपलब्ध करा दी जाएगी। यह भी अपने आप में एक नया रिकॉर्ड है।
गौरतलब है कि पहली बार दिल्ली विश्वविद्यालय वर्ष 2021 में पासआउट करने वाले सभी छात्रों को हाथों हाथ डिग्री दी गई हैं। हालांकि कई विश्वविद्यालय ऐसे भी हैं जहां डिग्री का बैकलॉग लंबे समय से लंबित है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के मुताबिक डिग्रियां का डेटा संबंधित प्रिंटर को प्रिंट करने के लिए भेजा जा चुका है। पहले डिग्री का डेटा कॉलेजों के माध्यम से एकत्र किया जा रहा था जो कि एक टाईम लेने वाली प्रक्रिया है और साथ ही कम समय में यह डेटा संग्रह बहुत मुश्किल था।
आईएएनएस
Created On :   3 March 2022 11:30 AM IST