मोदी सरकार के इस फैसले से शिक्षकों को मिलेगी बड़ी राहत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। स्कूली शिक्षकों के लिए मोदी सरकार एक बड़ा फैसला लेने जा रही है। मानव संसाधन विकास (HRD) मंत्रालय ने हाल ही में नई शिक्षा नीति के लिए तैयार किए गए अपने अंतिम मसौदे में स्कूली शिक्षकों को पूरी तरह से अशैक्षणिक गतिविधियों से अलग कर देने का प्रस्ताव रखा है। साथ ही मंत्रालय द्वारा यह उम्मीद भी जताई गई है कि इस कदम से स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में बड़े पैमाने पर सुधार होगा।
वर्तमान समय में स्कूली शिक्षकों का सबसे ज्यादा फोकस बच्चों के लिए मिड-डे मील तैयार कराने और बच्चों को मील खिलाने पर रहता है। इसी के साथ सरकार द्वारा स्कूलों में पढ़ाने वाले इन शिक्षकों को चुनाव के दौरान वोटर लिस्ट तैयार करने और जनगणना करने जैसे कई कामों का भार भी सौंप दिए जाते हैं। इसका सीधा प्रभाव बच्चों की शिक्षा में देखने को मिलता है। ऐसे में यदि मानव संसाधन विकास मंत्रालय के शिक्षकों को गैर शैक्षणिक गतिविधियों से दूर रखने का सुझाव को केंद्र द्वारा हरी झंडी मिल जाती है, तो शिक्षकों को इन सभी गैर शैक्षणिक कार्यों से राहत मिलेगी। साथ ही उनका सारा फोकस केवल बच्चों को पढ़ाने पर ही रहेगा। यह कदम इसलिए भी जरूरी है क्योंकि पहले से ही स्कूलों में शिक्षकों का आंकड़ा कम है।
करीब 10 लाख पद खाली
एक रिपोर्ट के मुताबिक देश भर के स्कूलों में शिक्षकों के लिए स्वीकृत किए गए पदों की तुलना में लगभग 10 लाख पद खाली पड़े हुए हैं। इसी कारण मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अपने मसौदे पर इस सुझाव को प्रमुखता दी है। प्रस्तावित शिक्षा नीति को जल्द ही कैबिनेट के समक्ष पेश किया जाएगा।
चुनावी कार्यों से दूरी
इससे पहले भी नीति आयोग ने स्कूली शिक्षकों को चुनावी कार्यों सहित अन्य गैर शैक्षणिक कार्यों की जिम्मेदारियों से दूर रखने का सुझाव दिया था। इस पर अमल करते हुए दिल्ली समेत कुछ राज्यों ने शिक्षकों को बूथ लेवल ऑफिसर जैसी जिम्मेदारियों से अलग कर दिया है।
Created On :   6 Nov 2019 4:20 AM GMT