मर्यादित जीवन का आधार है आध्यात्मिकता : प्रो. संजय द्विवेदी

Spirituality is the basis of a decent life: Prof. Sanjay Dwivedi
मर्यादित जीवन का आधार है आध्यात्मिकता : प्रो. संजय द्विवेदी
मीडिया सम्मेलन मर्यादित जीवन का आधार है आध्यात्मिकता : प्रो. संजय द्विवेदी
हाईलाइट
  • तनाव मुक्त एवं उत्साहित

डिजिटल डेस्क, नरसिंहपुर। तन, मन, धन का संतुलन आध्यात्मिक मानसिकता से ही संभव है। आध्यात्मिक ज्ञान हमें तनाव मुक्त एवं उत्साहित बनाता है। मर्यादित जीवन का आधार भी आध्यात्मिकता ही है। यह विचार भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी ने मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में ब्रह्माकुमारीज द्वारा आयोजित मीडिया सम्मेलन को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। इस अवसर पर संस्थान के मीडिया प्रभाग (इंदौर जोन) की जोनल कोआर्डिनेटर राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी विमला दीदी, ब्रह्माकुमारीज माउण्ट आबू के जनसंपर्क अधिकारी राजयोगी ब्रह्माकुमार कोमल भाई, मीडिया प्रभाग (भोपाल) की जोनल कोआर्डिनेटर राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी डॉ. रीना दीदी एवं नरसिंहपुर केंद्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी कुसुम भी उपस्थित रहीं।

प्रो. द्विवेदी के अनुसार वर्तमान परिदृश्य में आध्यात्मिकता का ह्रास हुआ है। आज पत्रकार स्वयं में तनावग्रस्त हैं। आध्यात्मिकता के बिना हमारे जीवन से शांति, सहयोग, सुख, करुणा आदि मूल्य समाप्त हो रहे हैं। आध्यात्मिकता को अपनाकर पत्रकार अपनी कार्यक्षमता बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत में संवाद और शास्त्रार्थ की परंपरा रही है, क्योंकि संवाद कभी नकारात्मक नहीं होता। उसके माध्यम से मानवता के सामने उपस्थिति हर सवाल के उत्तर पाए जा सकते हैं। 

आईआईएमसी के महानिदेशक ने कहा कि हमें पत्रकारिता का भारतीयकरण और समाज का आध्यात्मीकरण करना होगा। आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों के बिना कोई भी समाज न तो प्रगति कर सकता है और न ही सुखी रह सकता है। प्रो.द्विवेदी ने कहा कि हमें समाज के संकटों के निदान खोजने के लिए समाधानमूलक पत्रकारिता की ओर बढ़ना होगा।

इस अवसर पर राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी विमला दीदी ने कहा कि पत्रकार समाज का जिम्मेदार नागरिक होता है। मीडिया के साथी समस्याओं के साथ उनका उचित समाधान भी समाज के सामने पेश करें। ब्रह्माकुमार कोमल भाई ने पत्रकारिता को एक नोबेल प्रोफेशन बताते हुए पत्रकारों को उनकी गरिमा और देश व मानवता के लिए उनके उत्कृष्ट योगदान का स्मरण कराया। 

ब्रह्माकुमारी डॉ. रीना दीदी ने कहा कि पत्रकारिता में आध्यात्मिकता का प्रवेश करके ही पत्रकार समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभा सकते हैं। ब्रह्माकुमारी कुसुम ने उपस्थित सभी पत्रकारों से कहा कि आध्यात्मिकता के द्वारा आत्मबल बढ़ाना होगा। आत्मशक्ति को जागृत करते हुए पत्रकार अपने खोए हुए सुख और शांति को प्राप्त कर सकते हैं।

कार्यक्रम में बाल कलाकारों ने 'जनता की अदालत' लुघु नाटिका द्वारा मीडिया की समाज में भूमिका को प्रदर्शित किया। इस अवसर पर उपस्थित पत्रकारों को सम्मान शॉल एवं प्रशस्ति पत्र से किया गया। आभार प्रदर्शन श्री अजय नेमा ने किया।

Created On :   14 Feb 2023 7:27 PM IST

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