भारत और जर्मनी के बीच क्वांटम साइंस और रिसर्च के क्षेत्र में अहम समझौता

Important agreement between India and Germany in the field of quantum science and research
भारत और जर्मनी के बीच क्वांटम साइंस और रिसर्च के क्षेत्र में अहम समझौता
नई दिल्ली भारत और जर्मनी के बीच क्वांटम साइंस और रिसर्च के क्षेत्र में अहम समझौता
हाईलाइट
  • इसका उद्देश्य नवीन चुंबकीय और टोपोलॉजिकल क्वांटम सामग्री के क्षेत्र में वैज्ञानिक सहयोग करना है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कोलकाता के एस.एन. बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज (एसएनबीएनसीबीएस) और लाइबनिज-इंस्टीट्यूट फर फेस्टकोर्पर- और वेर्कस्टोफफोर्सचुंग ड्रेसडेन ई.वी. (आईएफडब्ल्यू ड्रेस्ड ई.वी.), ड्रेसडेन, जर्मनी के बीच समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी है। इसका उद्देश्य नवीन चुंबकीय और टोपोलॉजिकल क्वांटम सामग्री के क्षेत्र में वैज्ञानिक सहयोग करना है। क्वांटम सामग्री पर शोध ने दुनिया भर का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है, क्योंकि इनकी क्षमता पर भविष्य की क्वांटम प्रौद्योगिकी का विकास निर्भर है। इस संयुक्त उद्यम का लक्ष्य भारत-जर्मन सहयोग को बढ़ावा देना, अवसर प्रदान करना और चुंबकीय और टोपोलॉजिकल क्वांटम सामग्री के क्षेत्र में ज्ञान की उन्नति को सुविधाजनक बनाना है।

आईएफडब्ल्यू में अनुसंधान कार्यक्रम कार्यात्मक सामग्रियों पर केंद्रित हैं, जो अनुप्रयोग के कई क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। सुपरकंडक्टिंग और चुंबकीय सामग्री, पतली-फिल्म प्रणाली और नैनोस्ट्रक्च र के साथ-साथ क्रिस्टलीय और आकारहीन सामग्री इसकी रिसर्च का हिस्सा हैं। संस्थान का मिशन युवा वैज्ञानिकों को बढ़ावा देना और तकनीकी कर्मचारियों के प्रशिक्षण के साथ-साथ औद्योगिक कंपनियों को संस्थान की आर एंड डी जानकारी और अनुभव आदि की आपूर्ति करना है। दोनों देशों के इस सहयोग में विशेष रूप से प्रयोगात्मक और संगणन योग्य संसाधनों को साझा करना, तकनीकी और पेशेवर समर्थन का आदान-प्रदान और सहयोगी अनुसंधान के लिए संकाय, शोधकतार्ओं का आदान-प्रदान करना आदि शामिल होंगे। पारस्परिकता, सर्वोत्तम प्रयास, पारस्परिक लाभ और लगातार बातचीत के माध्यम से अपेक्षित ज्ञान आधार के निर्माण की उम्मीद है।

एस.एन. बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज (एसएनबीएनसीबीएस) एक स्वायत्त रिसर्च संस्थान है, जिसकी स्थापना 1986 में एक पंजीकृत सोसायटी के रूप में की गई थी। इस केंद्र की स्थापना प्रोफेसर एस.एन. बोस के जीवन और कार्य का सम्मान करने के लिए की गई थी, जो सैद्धांतिक भौतिकी में एक महान व्यक्ति थे और जिन्होंने क्वांटम यांत्रिकी और क्वांटम सांख्यिकी के विकास में कुछ मौलिक वैचारिक योगदान दिए हैं। भारत सरकार के मुताबिक इन वर्षों में, केंद्र मूलभूत विज्ञान में अनुसंधान और विकास के एक प्रमुख संस्थान के रूप में उभरा है, विशेष रूप से भौतिक विज्ञान और संबंधित विषयों के क्षेत्र में, जिनमें प्रयोग, सिद्धांत और गणना की शक्ति को नियोजित किया जाता है। केंद्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में उन्नत प्रशिक्षण और आपसी सम्बन्ध का एक प्रमुख केंद्र भी है। केंद्र एक आवासीय कार्यक्रम प्रदान करता है, जिसमें आगे पीएचडी की जाती है और इसमें एक मजबूत विजिटर एंड लिंकेज कार्यक्रम भी होता है।

वहीं जर्मनी का आईएफडब्ल्यू एक गैर-विश्वविद्यालय अनुसंधान संस्थान है और लाइबनिज एसोसिएशन का सदस्य है। आईएफडब्ल्यू जर्मनी ड्रेसडेन आधुनिक सामग्री विज्ञान से संबंधित है। यह नवीन सामग्री और उत्पादों के तकनीकी विकास के साथ भौतिकी, रसायन विज्ञान और सामग्री विज्ञान में खोजपूर्ण अनुसंधान का संयोजन करता है।

 

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Created On :   8 Jun 2022 9:00 PM IST

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