डीयू शिक्षा मंत्रालय व यूजीसी के निदेशरें के अंतर्गत बैकलॉग पूरा करे

DU complete the backlog under the instructions of the Ministry of Education and UGC
डीयू शिक्षा मंत्रालय व यूजीसी के निदेशरें के अंतर्गत बैकलॉग पूरा करे
नई दिल्ली डीयू शिक्षा मंत्रालय व यूजीसी के निदेशरें के अंतर्गत बैकलॉग पूरा करे

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली यूनिवर्सिटी में स्थायी नियुक्तियों के लिए एक पांच सदस्यीय कमेटी बनाने की मांग की गई है। वाइस चांसलर के समक्ष रखी गई इस मांग में कहा गया है कि स्थायी नियुक्तियों से पूर्व काले कमेटी की रिपोर्ट, शिक्षा मंत्रालय तथा यूजीसी के निदेशरें का पालन करते हुए यह कमेटी बनाई जाए। शिक्षकों का कहना है कि यह कमेटी अपनी रिपोर्ट 15 दिन के अंदर पेश करे। दिल्ली विश्वविद्यालय के अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के शिक्षक संगठनों दिल्ली यूनिवर्सिटी एससी, एसटी ओबीसी टीचर्स फोरम व फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर को इस संबंध में पत्र लिखा है।

एससी, एसटी व ओबीसी का बैकलॉग देते हुए विज्ञापनों की सही से जांच कराने के लिए यह पांच सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी बनाने की मांग की गई है। इस कमेटी में वरिष्ठ प्रोफेसर, विद्वत परिषद् के सदस्यों के अलावा रोस्टर की सही जानकारी रखने वालों को इसमें रखने की मांग की गई है। शिक्षकों का कहना है कि सही रोस्टर के बाद ही कॉलेजों के विज्ञापन निकाले जाएं।

फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन व डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि हाल ही में कॉलेजों के स्थायी शिक्षक नियुक्तियों के विज्ञापनों में अनेक प्रकार की विसंगतियां हैं। कॉलेजों द्वारा निकाले जा रहे विज्ञापनों में भारत सरकार की आरक्षण नीति व डीओपीटी के निदेशरें को सही से लागू नहीं किया गया है। साथ ही जो पद निकाले जा रहे हैं उनमें शॉर्टफाल, बैकलॉग और विश्वविद्यालय द्वारा बनाई गई प्रोफेसर काले कमेटी की रिपोर्ट को स्वीकारते हुए करेक्ट रोस्टर नहीं बनाया गया है।

उन्होंने कहा कि इससे एससी,एसटी, ओबीसी अभ्यर्थियों को जिस अनुपात में आरक्षण मिलना चाहिए था नहीं दिया जा रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय के तमाम कॉलेज सामाजिक न्याय और भारतीय संविधान के नियमों की सरेआम अवहेलना कर रहे हैं।  शिक्षकों के रोस्टर और आरक्षण की अनियमितता को लेकर वे पिछड़ा वर्ग आयोग व राष्ट्रीय अनुसूचित जाति, जनजाति आयोग में भी शिकायत की गई थीं। इसमें कुछ कॉलेजों ने अपना रोस्टर ठीक किया है। इसके बावजूद कालेजों द्वारा प्रोफेसर काले कमेटी की रिकमेंडेशन लागू करते हुए बैकलॉग नहीं दिया जा रहा है।

गौरतलब है कि शिक्षा मंत्रालय व यूजीसी ने अगस्त, सितंबर में एससी एसटी व ओबीसी का बैकलॉग पूरा करने संबंधी निर्देश जारी किए हुए हैं और इन पदों को मिशन मोड़ में 4 सितंबर 2022 तक भरने को कहा है। दिल्ली यूनिवर्सिटी एससी, एसटी, ओबीसी टीचर्स फोरम के अध्यक्ष डॉ. के.पी.सिंह ने बताया है कि आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्गों (ईडब्ल्यूएस आरक्षण) को 10 फीसदी आरक्षण फरवरी-2019 में आया था, जिसे विश्वविद्यालय और कॉलेजों ने स्वीकारते हुए इसको रोस्टर में शामिल कर लिया।

कॉलेजों ने ईडब्ल्यूएस रोस्टर को फरवरी 2019 से न बनाकर उसे एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण के पहले लागू करते हुए रोस्टर बना रहे हैं, इतना ही नहीं उन्होंने 10 फीसदी आरक्षण के स्थान पर किसी-किसी कॉलेज ने 14,15 या 20 फीसदी तक आरक्षण दे दिया जिससे कि एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण कम कर दिया गया और ईडब्ल्यूएस बढ़ाकर दिया गया है। इसी तरह पीडब्ल्यूडी आरक्षण को सही तरीके से लागू नहीं किया जा रहा है।

आईएएनएस

Created On :   13 Feb 2022 4:01 PM IST

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