विदेशी छात्रों के लिए शिक्षा का केंद्र बनने की राह पर बीएचयू
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्राचीन भारत में तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय भारत में विदेशी छात्रों का मुख्य आकर्षण थे। अब केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की नीतियों के तहत, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय इन खोए हुए प्राचीन विश्वविद्यालयों की जगह लेने का प्रयास कर रहा है। केंद्र सरकार बीएचयू को वैश्विक शिक्षा का केंद्र बनाना चाहती है और अधिक से अधिक संख्या में विदेशी छात्रों के नामांकन को आकर्षित करना चाहती है। इसके लिए बीएचयू ने भी दुनिया भर के छात्रों के बीच पहुंचने की योजना बनाई है। बीएचयू में अभी अमेरिका, ब्राजील, फ्रांस, रूस, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, यमन, ईरान समेत कई देशों के 400 से अधिक छात्र पढ़ रहे हैं।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुधीर जैन ने आईएएनएस से कहा है कि बीएचयू को विश्व के शीर्ष विश्वविद्यालयों की श्रेणी में लाने की दिशा में कठिन परिश्रम करना होगा। इसके लिए विदेशी छात्रों हेतु विशेष छात्रवृत्ति भी शुरू की जा रही है। ये छात्रवृत्ति योजना इसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उठाए जा रहे कदमों में से एक है। योजना के प्रभावी व सुचारू क्रियान्वयन एवं निगरानी के लिए विश्वविद्यालय ने तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस योजना के लिए आवेदन इंस्टिट्यूशन ऑफ एमिनेंस प्रकोष्ठ में प्राप्त किये जाएंगे।
शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार, की इन्सटिट्यूशन ऑफ एमिनेंस योजना के अंतर्गत काशी हिन्दू विश्वविद्यालय इंस्टीट्यूट आफ एमिनेंस का दर्जा दिया गया है। गौरतलब है कि भारत का एक इंस्टिट्यूट ऑफ एमिनेंट होने के कारण भी बीएचयू विदेशी छात्रों को आकर्षित करता है। इसके अलावा बीएचयू इस वर्ष विदेशी विद्यार्थियों को प्रोत्साहित व प्रेरित करने के लिए एक नई शुरूआत भी करने जा रहा है। विश्वविद्यालय ने विदेशी छात्रों की संख्या में इजाफे के इरादे से एक नई छात्रवृत्ति योजना आरम्भ की है। योजना के अंतर्गत प्रत्येक विदेशी विद्यार्थी को हर महीने 6000 रुपये छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी।
बीएचयू के कुलपति का कहना है कि इसके अलावा अन्य प्रावधान भी किए जा रहे हैं जिसके अंतर्गत विदेशों से आने वाले छात्रों के संतोषजनक प्रदर्शन के आधार पर स्कॉलरशिप की राशि को हर वर्ष बढ़ाया जाएगा। यदि किसी विद्यार्थी के पास कम राशि वाली कोई छात्रवृत्ति पहले से है, तो वह अन्तर पाने का हकदार होगा। विदेशी छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजना को कुलपति की अध्यक्षता में इन्सटिट्यूशन ऑफ एमिनेंस, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, की गवनिर्ंग बॉडी की बैठक में मंजूरी दी गई है।
ज्ञान, शिक्षा तथा संस्कृति के प्रतीक प्राचीन शहर वाराणसी में स्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय विश्व भर में अपनी विशिष्ठता के लिए जाना जाता है। कुलपति ने आईएएनएस को बताया कि विश्वविद्यालय में मानविकी, सामाजिक विज्ञान, चिकित्सा, प्रौद्योगिकी, विज्ञान, कला तथा मंच कला समेत तमाम विषयों में अनेक पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं, जो बीएचयू के नाम सर्वविद्या की राजधानी को सही अर्थों में चरितार्थ करता है।
हर वर्ष दुनिया भर से सैकड़ों विदेशी छात्र काशी हिन्दू विश्विवद्यालय में प्रवेश लेते हैं, जो यहां कृषि विज्ञान, कला, सामाजिक विज्ञान, मंच कला, ²श्य कला, विधि, वाणिज्य तथा विज्ञान के विषयों में स्नातक, परास्नातक, पीएचडी तथा डिप्लोमा समेत अनेक पाठ्यक्रमों में अध्ययन करते हैं। अवध विश्वविद्यालय का प्रयास इस संख्या को पहले के मुकाबले में और अधिक करने का है।
विश्वविद्यालय में वर्तमान में कुल सीटों के 15 प्रतिशत सीटों पर विदेशी छात्रों को प्रवेश देना निश्चित किया गया है। विदेशी छात्रों के लिए ये सीटें सुपरनूमररी हैं। फिलहाल बीएचयू में लगभग 40 देशों से 431 विदेशी विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं। इनमें 261 छात्र तथा 170 छात्राएं हैं जो अमेरिका, ब्राजील, फ्रांस, रूस, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, यमन, ईरान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, मॉरीशस, श्रीलंका, दक्षिणी कोरिया, थाईलैंड, म्यांमार तथा कंबोडिया समेत कई अन्य देशों से हैं।
इस छात्रवृत्ति योजना से बीएचयू में प्रवेश लेने वाले विदेशी विद्यार्थियों की संख्या में वृद्धि होने की उम्मीद है। साथ ही साथ, यह योजना राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 की उस भावना के भी अनुरूप है, जिसमें भारतीय शिक्षण संस्थानों में अधिक विदेशी छात्रों के प्रवेश से भारत की शिक्षा व्यवस्था के अंतरराष्ट्रीयकरण पर अधिक जोर दिया जाना है।
आईएएनएस
Created On :   10 April 2022 9:00 AM GMT