मास्टर्स करने पर चर्चा: क्या पत्रकारिता में मास्टर्स करना जरूरी, या केवल ग्रेजुएशन ही काफी? समझें क्या है राय

क्या पत्रकारिता में मास्टर्स करना जरूरी, या केवल ग्रेजुएशन ही काफी? समझें क्या है राय
  • पत्रकारिता क्षेत्र में मास्टर्स करना क्यों जरूरी?
  • 'मीडिया इंडस्ट्री में प्रैक्टिकल नॉलेज की मांग'
  • 'छात्र को इंटर्नशिप अनुभव का अवसर मिले'

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय मीडिया इंडस्ट्री में एक गंभीर सवाल खड़ा हो रहा है- क्या पत्रकारिता में मास्टर्स की डिग्री जरूरी है, या ग्रेजुएशन के बाद ही नौकरी के लिए पर्याप्त योग्यता मिल जाती है? यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि, इंडस्ट्री में कई लोग बिना पत्रकारिता की पढ़ाई किए बड़े पदों पर हैं, जबकि मास्टर्स करने वाले छात्र संघर्ष कर रहे हैं। पत्रकार विजय कुमार ने इस बारे में कुछ जरूरी सवालों के जवाब दिए हैं।

मास्टर्स क्यों?

मास्टर्स का मकसद होता है या तो ज्ञान को और गहराई देना या प्रोफेसर बनने की योग्यता हासिल करना। लेकिन, पत्रकारिता में ग्रेजुएशन करने वाला छात्र पहले ही इंडस्ट्री में जॉब के लिए तैयार है, तो मास्टर्स क्यों? क्या यह सिर्फ समय और पैसे की बर्बादी तो नहीं?

इंडस्ट्री की मांग: प्रैक्टिकल नॉलेज

मीडिया इंडस्ट्री थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल नॉलेज पर जोर देती है। जमीनी हकीकत यह है कि कई पत्रकार, जिन्होंने मीडिया की पढ़ाई नहीं की। अपने कौशल और अनुभव के बल पर बड़े पदों पर काम कर रहे हैं। यह उन छात्रों के लिए अन्यायपूर्ण है, जिन्होंने पांच साल ग्रेजुएशन और मास्टर्स में दिए।

क्या विश्वविद्यालय फेल हो रहे हैं?

विश्वविद्यालयों का सिलेबस अधिकतर थ्योरी पर आधारित है। छात्रों को इंडस्ट्री की जरूरतों के मुताबिक प्रैक्टिकल अनुभव नहीं मिलता। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ये पाठ्यक्रम सिर्फ कागजों पर ही कामयाब हैं?

समाधान क्या है?

जरूरत है कि विश्वविद्यालय अपने सिलेबस को इंडस्ट्री की मांग के अनुसार बदलें। छात्रों को इंटर्नशिप और प्रैक्टिकल अनुभव का अवसर मिले। वहीं, मीडिया कंपनियों को भी चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता लानी चाहिए।

पत्रकारिता में मास्टर्स डिग्री की प्रासंगिकता पर यह बहस जारी है। छात्रों और इंडस्ट्री के बीच तालमेल बिठाने के लिए बड़े कदम उठाने की जरूरत है।

Created On :   11 Jan 2025 5:47 PM IST

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