पत्रकारिता विश्व विद्यालय: आज भी बड़े समाचार दबाए नहीं जा सकते : गुर्जर

आज भी बड़े समाचार दबाए नहीं जा सकते : गुर्जर
  • व्यक्ति के 'भाव' की अभिव्यक्ति का स्थान मशीन नहीं ले सकती -डॉ संजीव गुप्ता
  • क्षेत्रीय पत्रकारिता के बल पर ही राष्ट्रीय पत्रकारिता चलती है-नवनीत गुर्जर
  • एमसीयू के पत्रकारिता विभाग में 'संपादक से संवाद' कार्यक्रम का आयोजन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जब पत्रकारिता एक मिशन हुआ करती थी, तब पत्रकारिता लोकतंत्र में चौथा स्तंभ थी। हालांकि, अभी भी पत्रकारिता में इतनी ईमानदारी है कि बड़ी और महत्वपूर्ण समाचारों को दबाया नहीं जाता है। यह बात वरिष्ठ संपादक नवनीत गुर्जर ने विद्यार्थियों से संवाद में कही। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग ने 'संपादक से संवाद' कार्यक्रम की श्रृंखला प्रारम्भ की है । इसी श्रृंखला की पहली कड़ी में श्री गुर्जर ने 'राष्ट्रीय बनाम क्षेत्रीय पत्रकारिता : परिदृश्य और संभावनाएं' विषय पर विद्यार्थियों के साथ संवाद किया। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉ. संजीव गुप्ता ने पत्रकारिता के विविध आयामों पर अपना दृष्टिकोण रखा।

वरिष्ठ संपादक नवनीत गुर्जर ने कहा कि क्षेत्रीय पत्रकारिता के बल पर ही राष्ट्रीय पत्रकारिता चलती है । दोनों की पत्रकारिता में खास अंतर नहीं हैं । रिपोर्टिंग का अंदाज़ दोनों की पत्रकारिता में लगभग एक जैसा है । अंशकालिक पत्रकारों के संदर्भ में उन्होंने कहा कि आंचलिक क्षेत्रों में सक्रिय स्ट्रिंगर भी अब तकनीक का उपयोग करना सीख गए हैं । वे फ़ोटो और वीडियो भी भेज रहे हैं । उन्होंने कहा कि हमारे पुरखों ने पत्रकारिता के जो सिद्धांत बनाये हैं, उनका पालन हर हाल में करना चाहिए । मीडिया ट्रायल ठीक नहीं है । जब तक कोई दोषी साबित नहीं होता तब तक उसे आरोपित ही लिखना चाहिए । इसी तरह बच्चों के मामले में नाबालिग की पहचान उजागर नहीं की जा सकती है ।

यूट्यूब पत्रकारिता पर एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि यूट्यूब के माध्यम से विचारों का प्रसारण पत्रकारिता नहीं है । वह तो तकनीक का उपयोग है । अगर इसे पत्रकारिता कहें तो आज घर-घर में पत्रकार हो गए हैं । अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि पहले चप्पल पहने पत्रकार का भी सम्मान था लेकिन आज सूटबूट पहने पत्रकार का भी उस तरह का सम्मान नहीं है ।

मीडिया के तीनों ही स्वरूप को लेकर एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि आज भी प्रिंट मीडिया को लेकर पाठकों के मन में अधिक विश्वास है। डिजिटल में समाचार को बदला और हटाया जा सकता है लेकिन समाचारपत्र में जो छप गया, उसमें सुधार संभव नहीं। इसलिए प्रिंट की पत्रकारिता अधिक गंभीरता और सजगता से की जाती है। उन्होंने कहा कि प्रिंट के समाचारों पर पाठकों की प्रतिक्रियाएं भी अधिक आती हैं। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से अधिक लंबी आयु डिजिटल मीडिया की है। हालांकि, अभी डिजिटल मीडिया का कोई व्यवस्थित रेवेन्यू मॉडल नहीं है।

पत्रकार को द्विभाषी होना कितना आवश्यक है? इस प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि द्विभाषी होना अच्छी बात है। लेकिन यदि आपको अंग्रेजी नहीं आती या हिंदी नहीं आती तो उसका आपकी पत्रकारिता पर कोई फर्क नहीं पड़ता। भाषा कोई बंधन नहीं है। उन्होंने कहा कि भाषा सीखना कोई कठिन बात नहीं है।

विभागाध्यक्ष डॉ. संजीव गुप्ता ने कहा कि भले ही तकनीक आ गयी है, लेकिन व्यक्ति के 'भाव' की अभिव्यक्ति का स्थान मशीन नहीं ले सकती है। हमें ध्यान रखना है कि हम तकनीक के गुलाम न बनें अपितु तकनीक को अपना सहयोगी बनाएं । उन्होंने कहा कि वर्तमान पत्रकारिता के अनुरूप हमें स्वयं को तैयार करना चाहिए । कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार एवं मीडिया गुरु शिवकुमार विवेक ने किया । इस अवसर पर विभाग के शिक्षक डॉ. रंजन सिंह, डॉ. सतेंद्र डहेरिया और लोकेन्द्र सिंह सहित अन्य जन उपस्थित रहे।

विद्यार्थी उद्यांश पांडेय का सम्मान :

इस अवसर पर विभाग के विद्यार्थी उद्यांश पांडेय का सम्मान भी किया गया। अभी हाल ही में उन्होंने मध्यप्रदेश राज्य स्तरीय अंतर विश्वविद्यालय युवा उत्सव प्रतियोगिता 'युवान' की वाद-विवाद प्रतियोगिया में द्वितीय स्थान प्राप्त किया है।

Created On :   11 Feb 2025 7:45 PM IST

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