Vinayak Chaturthi 2024: नवरात्रि में विनायक चतुर्थी का संयोग, रवि योग में होगी गणेश पूजा

नवरात्रि में विनायक चतुर्थी का संयोग, रवि योग में होगी गणेश पूजा
  • पूजा से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है
  • इस दिन मनोकामना मांगने पर अवश्य पूरी होती है
  • इस बार 06 अक्टूबर, शनिवार को है गणेश चतुर्थी

डिजिटल डेस्क, भोपाल। नवरात्रि का पर्व देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है, वहीं इसी बीच विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) का संयोग भी बन रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन जो व्यक्ति विधि-विधान से बप्पा की आराधना करता है, उन्हें सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही इस दिन भगवान गणेश से मनोकामना मांगने पर अवश्य पूरी होती है। हर माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि गणेश जी को समर्पित होती है, जो कि इस बार 06 अक्टूबर, शनिवार को पड़ रही है।

ज्योतिषाचार्य के अनुसार, विनायक चतुर्थी के दिन रवि योग का निर्माण हो रहा है और इसी दिन विशाखा नक्षत्र भी है। बता दें कि, भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देव कहा गया है और इसलिए सभी कार्यों के शुरुआत करने से पहले उनकी पूजा और अर्चना की जाती है। गणेश जी को बुद्धि और विवेक का देवता माना जाता है। आइए जानते हैं चतुर्थी की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त...

विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त

ज्योतिषाचार्य के अनुसार, चतुर्थी तिथि का आरंभ 06 अक्टूबर की सुबह 07 बजकर 49 मिनट से होगा, वहीं इसका समापन 07 अक्टूबर की सुबह 09 बजकर 47 मिनट तक होगा। जबकि, रवि योग सुबह 6 बजकर 17 मिनट से शुरू होकर देर रात 12 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगा। इसके अलावा इस दिन विशाखा नक्षत्र सुबह से लेकर देर रात 12 बजकर 11 मिनट तक रहेगा।

इस विधि से करें पूजा

- विनायक चतुर्थी पर स्नान कर गणेश जी के सामने दोनों हाथ जोड़कर मन, वचन, कर्म से इस व्रत का संकल्प करें।

- भगवान गणेश की पूजा करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर अपना मुख रखें।

- भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र सामने रखकर किसी स्वच्छ आसन पर बैठ जाएं।

- इसके बाद फल फूल, अक्षत, रोली और पंचामृत से भगवान गणेश को स्नान कराएं।

- इसके बाद पूजा करें और फिर धूप, दीप के साथ श्री गणेश मंत्र का जाप करें।

- इस दिन गणेश जी को तिल से बनी चीजों का भोग लगाएं।

- संध्या काल में स्नान कर, स्वच्छ वस्त्र धारण कर विधिपूर्वक धूप, दीप, अक्षत, चंदन, सिंदूर, नैवेद्य से गणेशजी का पूजन करें।

- इस दिन गणेश जी को लाल फूल समर्पित करने के साथ अबीर, कंकू, गुलाल, हल्दी, मेंहदी, मौली चढ़ाएं। मोदक, लड्डू, पंचामृत और ऋतुफल का भोग लगाएं।

- इसके बाद गणपति अथर्वशीर्ष, श्रीगणपतिस्त्रोत या गणेशजी के वेदोक्त मंत्रों का पाठ करें।

- फिर गणेश चतुर्थी की कथा सुने अथवा सुनाएं।

- गणपति की आरती करने के बाद अपने मन में मनोकामना पूर्ति के लिए ईश्वर से विनती करें।

इस मंत्र का जाप करें

ऊँ श्री गणेशाय नमः

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   5 Oct 2024 11:10 AM GMT

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