Vat Purnima Vrat 2024: पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है ये व्रत, जानें इसकी पूजा विधि और कथा

पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है ये व्रत, जानें इसकी पूजा विधि और कथा
  • वृक्ष के नीचे सावित्री के पति को जीवनदान मिला था
  • महिलाएं इस दिन व्रत कर वट वृक्ष की पूजा करती हैं
  • इस बार वट सावित्री व्रत 21 जून को रखा जा रहा है

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू धर्म में वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) का काफी महत्व है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। यह व्रत हर साले ज्येष्ठ माह में रखा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार वट के वृक्ष के नीचे ही सावित्री के पति सत्यवान को जीवनदान मिला था, इसलिए इस व्रत में वट के वृक्ष का पूजन किया जाता है।

यह व्रत उत्तर भारत के कई स्थानों जैसे पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उड़ीसा में वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को किया जाता है। वहीं महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिणी भारतीय राज्यों यह व्रत ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को किया जाता है। इस बार वट पूर्णिमा व्रत, 21 जून शुक्रवार को है। आइए जानते हैं इसकी पूजा विधि और इससे जुड़ी कथा...

तिथि कब से कब तक

ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि आरंभ: 21 जून 2024, शुक्रवार को सुबह 07 बजकर 31 मिनट से

ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि समापन: 22 जून 2024, शनिवार को सुबह 06 बजकर 37 मिनट तक

इस विधि से करें पूजा

- इस दिन सुबह जल्द उठकर स्नानादि करके लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करें।

- इसके बाद पूजन सामाग्री की थाली सजाकर वट वृक्ष के पास पहुंचें।

- वट वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान की प्रतिमा स्थापित करें।

- अब वट वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करें और पुष्प, अक्षत, फूल, भीगा चना, गुड़ व मिठाई अर्पित करें।

- इसके बाद वट वृक्ष पर सूत लपेटते हुए सात बार परिक्रमा करें और हाथ जोड़कर प्रणाम करें।

- अब हाथ में चने लेकर वट सावित्री की कथा सुनें ।

- पूजन के बाद अपनी क्षमतानुसार ब्राह्मणों को फल और वस्त्रों दान करें।

वट सावित्री की कथा

स्कंद पुराण के अनुसार, राज अश्वपति की पुत्री सावित्री का विवाह सत्यवान से हुआ था। सत्यवान भगवान के भक्त थे, लेकिन एक दिन नारद जी ने सावित्री को बताया कि उनके पति की आयु कम है। उसी दिन से वे घोर तपस्या में लीन हो गईं और जब सत्यवान के प्राण जाने वाले थे, उस दिन सत्यवान के सिर में तेज दर्द होने लगा और वे वहीं पर बरगद के पेड़ के नीचे लेट गए।

जब, यमराज वहां आए और सत्यवान के प्राण हरकर ले जाने लगे, तब सावित्री ने यमराज को अपन पति के प्राण लौटाने के लिए मजबूर किया। उसी दिन से वट सावित्री का व्रत पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   20 Jun 2024 9:33 AM GMT

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