शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन: जानिए कैसा है मां चंद्रघंटा का स्वरूप, कैसे करें पूजा और क्या है मंत्र?

जानिए कैसा है मां चंद्रघंटा का स्वरूप, कैसे करें पूजा और क्या है मंत्र?
  • यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है
  • पूजा से सभी सांसारिक कष्टों से छुटकारा मिलता है
  • मां दुर्गा शांति, साहस और शक्ति प्रदान करती हैं

डिजिटल डेस्क, भोपाल। शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta) को समर्पित है। इस दिन व्रत रखा जाता है और विधि विधान से जगत जननी दुर्गा के तीसरे स्वरूप की पूजा करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, मां दुर्गा का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। मां की उपासना से व्यक्ति को सभी सांसारिक कष्टों से छुटकारा मिलता है और शांति, साहस और शक्ति की प्राप्ति होती है।

मां दुर्गा की यह शक्ति तृतीय चक्र पर विराज कर ब्रह्माण्ड से दसों प्राणों व दिशाओं को संतुलित करती है और महाआकर्षण प्रदान करती है। इस बार मां चंद्रघंटा की पूजा 05 अक्टूबर, शनिवार को की जा रही है। आइए जानते हैं मां का स्वरूप, पूजा विधि और मंत्र...

कैसा है मां का स्वरूप

मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्ध चंद्रमा विराजमान है इसलिए इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। मां का यह तीसरा स्वरूप बेद खूबसूरत और आकर्षक है। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला और इनका वाहन सिंह है। माता के दस हाथ हैं, जो कमल, धनुष, बाण, खड्ग, कमंडल, तलवार, त्रिशूल और गदा आदि जैसे अस्त्र और शस्त्र से सुसज्जित हैं। वहीं इनके कंठ में श्वेत पुष्प की माला और शीर्ष पर रत्नजड़ित मुकुट विराजमान है। मां चंद्रघंटा का रूप युद्ध के लिए तैयार नजर आता है।

इस विधि से करें पूजा

- नवरात्रि के तीसरे दिन ब्रम्हा मुहूर्त में उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनें।

- इसके बाद चौकी बिछाकर उस पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं।

- सर्वप्रथम मां चंद्रघंटा को पीले रंग के फूल, अक्षत, रोली अर्पित करें।

- मां चंद्रघंटा देवी को दूध से बनी मिठाई और खीर का भोग लगाएं।

- कलश देवता की पूजा करें।

- इसी प्रकार नवग्रह, दशदिक्पाल, नगर देवता, ग्राम देवता, की पूजा करें।

- कलश में उपस्थित देवी-देवता, तीर्थों, योगिनियों, नवग्रहों, दशदिक्पालों, ग्राम एवं नगर देवता की पूजा अराधना करें।

- देवी चन्द्रघंटा की पूजन कर आरती करें।

- दुर्गा सप्तशती और चंद्रघंटा माता की आरती का पाठ करें।

मंत्र

पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।

प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   4 Oct 2024 12:07 PM GMT

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