शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन: मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से होगी ज्ञान और वैराग्य की प्राप्ति, जानें पूजा विधि

मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से होगी ज्ञान और वैराग्य की प्राप्ति, जानें पूजा विधि
  • चीनी या गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाएं
  • पूजा से ज्ञान और वैराग्य की प्राप्ति होती है
  • संयम वृद्धि के लिए भी उपासना की जाती है

डिजिटल डेस्क, भोपाल। शारदीय नवरात्रि (Shardiya navratri) की शुरुआत हो चुकी है और इस महापर्व के दौरान पूरे नौ दिनों तक दुर्गा मां के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। उत्सव का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है, जो कि इस बार 04 अक्टूबर शुक्रवार को है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो लोग मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं उनका मन कठिन से कठिन परिस्थिति में भी डगमगाता नहीं है। माता को प्रसन्न करने के लिए आप उन्हें चीनी या गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाने का विधान है।

ऐसा माना जाता है कि, माता की आराधना से सिद्धी, विवेक, बुद्धि, ज्ञान और वैराग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही मां अपने भक्तों के दुर्गुणों, मलिनता और दोषों को दूर करती हैं। तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि के लिए भी देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप, पूजा विधि और मंत्र...

स्वरूप

धर्म शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मचारिणी शब्द का अर्थ है तप की चारिणी अर्थात् तप का आचरण करने वाली मां। देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य होता है। माता के सीधे हाथ में जप की माला और उल्टे हाथ में यह कमण्डल होता हैं। मां दुर्गा का जन्म पर्वतराज के यहां माता पार्वती के रूप में हुआ था। वहीं नारद जी के आदेशानुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी ने वर्षों तक कठिन तपस्या की। जिसके कारण ही इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ गया।

पूजा विधि

- इस दिन सुबह ब्रम्हामुहूर्त में उठकर स्नानादि के बाद व्रत का संकल्प लें।

- इसके बाद घर के मंदिर को साफ और गंगा जल का छिड़काव करें।

- इसके बाद मां को रोली, अक्षत, चंदन आदि अर्पित करें।

- माता को गुड़हल या कमल के फूल ही चढ़ाएं।

- अलग-अलग तरह के फूल,अक्षत, कुमकुम, सिन्दुर, अर्पित करें।

- माता को उनका मनपसंद भोग लगाएं।

- घी और कपूर से बने दीपक से माता की आरती उतारें

- दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा का पाठ करें।

इस मंत्र का करें जाप

दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   3 Oct 2024 5:23 PM IST

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