रवि प्रदोष: सावन के प्रदोष पर इस मुहूर्त में करें पूजा, जानें इस दिन का महत्व
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का काफी महत्व है। वहीं दिन के हिसाब से आने वाले प्रदोष को अलग अलग नामों से जाना जाता है। यह व्रत हर माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है। फिलहाल सावन माह में रवि प्रदोष व्रत 13 अगस्त को पड़ रहा है। रवि प्रदोष व्रत वाले दिन पुनर्वसु नक्षत्र और सिद्धि योग भी बन रहा है।
हिन्दू धर्म के मुताबिक यह प्रदोष व्रत कलियुग में भगवान शिव की कृपा प्रदान करने वाला और अत्यधिक मंगलकारी माना गया है। रवि प्रदोष व्रत से कोई भी भक्त अपने मन की इच्छा को बहुत जल्द पूरा कर सकता है। आइए जानते हैं पूजा की विधि और मुहूर्त...
शुभ मुहूर्त
पूजा मुहूर्त: शाम 07 बजकर 03 मिनट से रात 09 बजकर 12 मिनट तक
सिद्धि योग: दोपहर 03 बजकर 56 मिनट से पूरी रात
पुनर्वसु नक्षत्र: सुबह 08 बजकर 26 मिनट से अगले दिन सुबह तक
प्रदोष व्रत की विधि
- प्रदोष व्रत करने के लिए मनुष्य को त्रयोदशी के दिन प्रातर: सूर्य उदय से पूर्व उठना चाहिए।
- नित्यकर्मों से निवृत्त होकरए भगवान श्री भोलेनाथ का स्मरण करें।
- पूरे दिन उपावस रखने के बाद सूर्यास्त से एक घंटा पहलेए स्नान आदि कर श्वेत वस्त्र धारण किए जाते हैं।
- पूजा स्थल को गंगाजल या स्वच्छ जल से शुद्ध करने के बादए गाय के गोबर से लीपकरए मंडप तैयार किया जाता है।
- अब इस मंडप में पांच रंगों का उपयोग करते हुए रंगोली बनाई जाती है।
- प्रदोष व्रत कि आराधना करने के लिए कुशा के आसन का प्रयोग किया जाता है।
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Created On :   12 Aug 2023 12:07 PM GMT