पौष अमावस्या 2024: साल की पहली अमावस्या पर इन देवताओं की करें उपासना, जानें पूजा विधि
- इस तिथि को पूर्वजों का दिन कहा जाता है
- पितृ तर्पण करना लाभकारी माना जाता है
- इस दिन सूर्य की उपासना की जाती है
डिजिटल डेस्क, भोपाल। सनातन धर्म में अमावस्या को काफी महत्वपूर्ण माना गया है। वैसे तो प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की 15 वीं तिथि को अमावस्या आती है। लेकिन अलग- अलग माह में इसका महत्व भी अलग है। फिलहाल पौष मास चल रहा है और पौष माह में पड़ने वाली अमावस्या साल बेहद खास होने वाली है, क्यों कि यह साल 2024 की पहली अमावस्या है। शास्त्रों के अनुसार अमावस्या तिथि को पूर्वजों का दिन कहा जाता है। इस दिन नदी में स्नान कर दान-पुण्य और पितृ तर्पण करना लाभकारी माना जाता है।
माना जाता है कि अमावस्या तिथि को व्यक्ति को बुरे कर्म और नकारात्मक विचारों से भी दूर रहना चाहिए। हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि पर भगवान विष्णु, महादेव और सूर्य की उपासना की जाती है। साथ ही अमावस्या तिथि पितरों का तर्पण आदि करने के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। आइए जानते हैं इस दिन की पूजा विधि और मुहूर्त...
तिथि कब से कब तक
तिथि आरंभ: 10 जनवरी 2024, बुधवार रात 8 बजकर 10 मिनट से
तिथि समापन: 11 जनवरी 2024, गुरुवार शाम 5 बजकर 26 मिनट पर
व्रत विधि
- पौष अमावस्या के दिन पवित्र नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान किए जाने की परंपरा है।
- यदि नदी जाना संभव नहीं हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए।
- इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करना चाहिए।
- तांबे के पात्र में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल रंग के पुष्प डालकर सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।
- पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान- दक्षिणा देना चाहिए।
- यदि पितृ दोष है से पीड़ित व्यक्ति को पौष अमावस्या का व्रत रखकर पितरों का तर्पण अवश्य करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि, इससे शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही पितरों के आशीर्वाद से घर में खुशहाली बनी रहती है।
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Created On :   9 Jan 2024 6:18 AM GMT