जानें क्या है पूजा विधि? इस दिन क्या करें, क्या ना करें
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पौष मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी के रूप में मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में इस दिन का खासा महत्व है, विशेष तौर पर दक्षिण भारत में स्कंद षष्ठी को अधिक मान्यता है। दक्षिण भारत में लोग इस तिथि को एक उत्सव के रूप में बहुत ही श्रध्दा भाव से मनाते हैं। इस दिन भगवान शिव के पुत्रए कार्तिकेय की पूजा की जाती है। इस बार ये व्रत 08 जनवरी 2022, शनिवार को रखा जाएगा। कहते हैं इस दिन संसार में हो रहे कुकर्मों को समाप्त करने के लिए कार्तिकेय का जन्म हुआ था।
माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से संतान के कष्ट कम होने के साथ अपने आस- पास की नकारत्मक ऊर्जा समाप्त होती है। इस दिन माता पार्वती और भगवान शंकर के पुत्र कार्तिकेय की आरधना की जाती है। भगवान स्कन्द को मुरुगन,कार्तिकेयन, सुब्रमण्या के नाम से भी जाना जाता है।
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स्कन्द षष्ठी मुहूर्त
षष्ठी तिथि आरंभ: 7 जनवरी, शुक्रवार, सुबह 11:10 मिनट से
षष्ठी तिथि समाप्त: 8 जनवरी, शनिवार सुबह 10:42 मिनट पर
महत्व
यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र स्कंद को समर्पित होने के कारण स्कंद षष्ठी के नाम से जाना जाता है। जैसे गणेश जी के लिए महीने की चतुर्थी के दिन पूजा- अर्चना की जाती है उसी प्रकार उनके बड़े भाई कार्तिकेय या स्कंद के लिए महीने की षष्ठी के लिए उपवास किया जाता है। उत्तर भारत में कार्तिकेय को गणेश का बड़ा भाई माना जाता है लेकिन दक्षिण भारत में कार्तिकेय गणेश जी के छोटे भाई माने जाते हैं। इसलिए हर महीने की षष्ठी को स्कंद षष्ठी मनाई जाती है। षष्ठी तिथि कार्तिकेय जी की होने के कारण इसे कौमारिकी भी कहा जाता है।
क्या करें, क्या ना करें
इस दिन दान आदि कार्य करने से विशेष लाभ मिलता है। स्कंद देव की स्थापना करके अखंड दीपक जलाए जाते हैं। कार्तिक भगवान को स्नान करवाकर, नए वस्त्र पहनाकर, पूजा की जाती है। इस दिन भगवान को भोग लगाया जाता है। स्कंद षष्ठी पूजन में तामसिक भोजन मांस, शराब, प्याज, लहसुन का त्याग करना चाहिए और ब्रह्मचर्य आवश्यक होता है। इस दिन भगवान कार्तिकेय पर दही में सिंदूर मिलाकर चढ़ाने से व्यवसाय पर आ रहे व्यावसायिक कष्ट समाप्त हो जाते हैं और आर्थिक स्थिति अच्छी होती है। इस दिन पूरे मन से भगवान कार्तिकेय का पूजन करने से जीवन के अनेक प्रकार के कष्ट दूर होते हैं।
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स्कन्द षष्ठी की पूजा विधि
- सूर्योदय से पूर्व उठें और स्नानादि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद घर के मंदिर की सफाई करें और एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं।
- अब भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा की स्थापना करें।
- इनके साथ ही शंकर-पार्वती और गणेश जी की मूर्ति भी स्थापित करें।
- इसके बाद कार्तिकेय जी के सामने कलश स्थापित करें।
- पहले गणेश वंदना करें और संभव हो तो अखंड ज्योत जलाएं।
- इसके बाद भगवान कार्तिकेय पर जल अर्पित करें और नए वस्त्र चढ़ाएं।
- पुष्प या फूलों की माला अर्पित कर फल, मिष्ठान का भोग लगाएं।
Created On :   7 Jan 2022 7:00 AM GMT