सीता नवमी 2021: रामनवमी के बराबर है इस दिन का महत्व, जानें पूजा का मुहूर्त
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को सीता नवमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन माता सीता प्रकट हुई थीं, इसलिए इसे जानकी जयंती के रूप में भी मनया जाता है। हिंदू धर्म में सीता नवमी का उतना ही महत्व है जितना कि राम नवमी क। इस वर्ष सीता नवमीं 21 मई शुक्रवार को मनाई जा रही है। हालांकि इसको लेकर दो तिथियों का भ्रम बना हुआ है। दरअसल, इस तिथि की शुरुआत बुधवार दोपहर से हो चुकी है जो कि आज सुबह तक रहेगी।
शास्त्रों के अनुसार, देवी सीता का प्राकट्य मध्याह्न में हुआ था इसलिए मध्याह्न व्यापिनी नवमी तिथि को ही सीता जयंती शुभ फलदायी होता। ऐसे में देश के कई भागों में जानकी नवमी का व्रत गुरुवार को रखा गया। जबकि कई लोगों ने आज इस तिथि को माना है। आइए जानते हैं इस दिन का महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त...
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शुभ मुहूर्त
नवमी तिथि शुभारंभ: 20 मई गुरुवार, दोपहर 12:25 मिनट से
नवमी तिथि समापन: 21 मई शुक्रवार, सुबह 11: 10 मिनट तक
मान्यता
मान्यता है कि, इस दिन भगवान श्रीराम और माता जानकी की विधि-विधान से पूजा करने से भूमि दान, तीर्थ भ्रमण फल के साथ ही व्रती को सभी दुखों, रोगों व संतापों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने सौभाग्य रक्षा और पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं। मान्यता यह भी है कि माता सीता की पूजा-पाठ से माता के रोगों और पारिवारिक कलह क्लेश से मुक्ति मिलती है।
ऐसे करें पूजा
- इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर दैनिक नित्यक्रम के बाद स्नान करें।
- इसके बाद सीता नवमीं के व्रत का संकल्प लें।
- जमीन को लीपकर या स्वच्छ जल से धोकर आम के पत्तों और फूल से मंडप बनाएं।
- मंडप में एक चौकी रखें और लाल या पीला कपड़ा बिछाएं।
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- इस चौकी को फूलों से सजाएं और भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा स्थापित करें।
- इसके बादद भगवा श्रीराम और माता सीता की - विधि-विधान से पूजन करें।
- तिल के तेल या गाय के घी का दीया जलाएं।
- पूजा के दौरान आसन पर बैठकर लाल चंदन की माला से ॐ श्रीसीताये नमः मंत्र का जाप करें।
- इसके बाद अपनी माता के स्वास्थ्य की प्रार्थना करें।
Created On :   20 May 2021 12:10 PM IST