रहस्यमयी निधिवन में प्रकट हुई थी ये अलौकिक कृष्ण प्रतिमा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। निधिवन, इसके बारे में हम आपको एक बार पहले बता चुके हैं। जी हां, यही वह स्थान है जहां भगवान श्रीकृष्ण गोपियों के साथ रास रचाने हर रात आते हैं। इस वजह से यहां कोई भी रात्रि में नही ठहरता। कहा जाता है कि जिसने भी इस दृश्य को देखने का प्रयास किया या तो वह पागल हो गया या फिर उसकी मृत्यु हो गई। यहां बड़े-बड़े तुलसी के पेड़ लगे हुए हैं जिनके बारे में बताया जाता है कि ये गोपियां हैं जो दिन में वृक्ष का रूप धारण कर लेती हैं।
मूर्ति में साक्षात कृष्ण का वास
यहां बने मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के लिए पानी व पान रखा जाता है। सुबह पानी का बर्तन खाली और पान खाया हुआ मिलता है। ऐसा यहां अनेक बरसों से होता आ रहा है। इस वजह से इसे रहस्यमयी निधि वन भी कहा जाता है। ये तो बात हो गई निधि वन की। आज यहां हम आपको एक ऐसी मूर्ति के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका प्रकाट्य निधिवन से ही माना जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि इस मूर्ति में साक्षात कृष्ण का वास है।
आराधना को साकार रूप मिला
कहा जाता है कि स्वामी हरिदास कन्हैया के अनन्य भक्त थे। उनकी प्रार्थना पर मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को उनकी आराधना को साकार रूप मिला और बांकेबिहारी की प्रतिमा उसी रहस्यमयी निधिवन में प्रकट हो गई। जहां कान्हा रास रचाने आते हैं। मुगलों के आक्रमण के समय इन्हें भरतपुर ले जाया गया था, किंतु बाद में इन्हें पुनः वृंदावन लाया गया। जहां बांकेबिहारी एक बार फिर वृंदावन में विराजे। इस मंदिर का निर्माण भी स्वामी हरिदास ने ही कराया था। यहां साल में केवल एक बार जन्माष्टमी के अवसर पर मंगला आरती की जाती है। कहा जाता है कि कान्हा अपने भक्तों के लिए यहां हर वक्त माैजूद रहते हैं आैर उनकी प्रार्थना सुनते हैं।
Created On :   28 Dec 2017 4:08 AM GMT