ऋषि पंचमी 2017 : अंजाने में हुए हैं पाप तो ऐसे करें 'सप्तऋषियों' की पूजा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ऋषि पंचमी भाद्रपद शुक्ल माह की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष यह शनिवार 26 अगस्त को मनाया जा रहा है। इस दिन सप्त ऋषियों की पूजा की जाती है। इस व्रत को लेकर मान्यता है कि इसे करने से अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस व्रत की खासियत ये है कि इसे महिलाएं और पुरुष दोनों ही कर सकते हैं।
सप्तऋषियों की प्रतिमूर्ति
ऋषि पंचमी के दिन सुबह सुबह स्नान करने के बाद गोबर से घर लीपकर गंगाजल छिड़कर सप्त ऋषियों की पूजा की जाती है। इस दिन सुबह पवित्र मन से स्नान करने के बाद हल्दीए चंदन, पुष्प अक्षत आदि से सप्त ऋषियों की पूजा की जाती है। एक आसान पर सप्तऋषियों की प्रतिमूर्ति बनाकर उन्हें आसन पर बैठाएं। स्नान से लेकर पूजन तक एक विशेष जंगली पौधे (अद्धाझारे) का प्रयोग पूजन में किया जाता है। बाद में पूजन के बाद इन्हें विसर्जित कर दिया जाता है। इस दिन हल से जोते हुए अनाज यानी जमीन से उगने वाले अन्न को नहीं खाया है।
ये है व्रत कथा
ऋषि पंचमी की कई व्रत कथाएं प्रचलित हैं उन्हीं में से एक ये है। बताया जाता है कि महाभारत काल में अभिमन्यु की पत्नी का गर्भ अश्वत्थामा के प्रहार से नष्ट हो गया। इससे उत्तरा को बहुत ठेस पहुंची। तब उन्हें ऋषि पंचमी के दिन सप्त ऋषियों का व्रत रखने की सलाह दी गई। व्रत को विधि विधान से पूरा करने के बाद उनका गर्भ पुन: जीवित हो गया। उन्होंने एक पुत्र राजा परीक्षत को जन्म दिया। कहा जाता है कि सप्तऋषियों का आशीर्वाद घर में खुशी एवं संपन्नता लाता है। इसलिए इस व्रत को पूरे विधि-विधान से करना चाहिए।
Created On :   26 Aug 2017 7:55 AM IST