रंग पंचमी 2021: जानें होली पर्व के आखिरी दिन का महत्व और मान्यता
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चैत्र मास में कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को रंग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। यह होली पर्व का आखिरी दिन होता है और पांचवा दिन होने के कारण इसे रंग पंचमी कहा गया है। इस बार ये त्यौहार 02 अप्रैल 2021, शुक्रवार को है। चैत्रमास की कृष्णपक्ष की पंचमी देवी देवताओं को समर्पित मानी जाती है।
रंगपंचमी में होली की तरह रंग खेले जाते हैं। इसमें राधा कृष्ण जी को भी अबीर गुलाल लगाया जाता है। रंगपंचमी के दिन कई स्थानों पर एक-दूसरे के शरीर पर रंग व गुलाल डालकर यह पर्व मनाया जाता है।
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मान्यता
मान्यता है कि रंगों के गुलाल से वातावरण में ऐसी स्थिति व्याप्त होती है जिससे तमोगुण और रजोगुण का नास होता है। इस दिन वातावरण में उड़ने वाले रंग को लेकर यह भी माना जाता है कि उड़ते हुए गुलाल से व्यक्ति में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक गुण प्रवेश करते हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन आसमान में रंग उड़ाने से रज और तम के प्रभाव कम हो कर उत्सव का सात्विक स्वरूप निखरता है और देवी-देवता भी प्रसन्न होते हैं। ये भी कहा जाता है कि आसमान से ही रंगों के जरिए भगवान भी अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।
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यहां रहती है धूम
यह त्योहार खासतौर पर महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्यप्रदेश में धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग पकवान, जिसमें मुख्य रूप से पूरनपोली बनाकर इस पर्व को मनाते हैं।
मध्यप्रदेश में रंग पंचमी खेलने की परंपरा काफी पुरानी है। मध्यप्रदेश के इंदौर में रंग पंचमी के दिन सड़को पर जुलूस निकाल के हर्बल रंग मिला सुगंधित जल का छिड़काव होता है। वहीं महाराष्ट्र में रंग पंचमी के दिन मछुआरों की बस्ती में नाच-गाना होता है।
Created On :   31 March 2021 3:13 PM IST